गेहूं किसानों को निजी व्यापारियों की तरफ से गेहूं का ज्यादा भाव मिलने की वजह से इस साल सरकारी एजेंसियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीद में किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. इस वजह से सरकार का गेहूं खरीद लक्ष्य पूरा होने की संभावना नहीं है.
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के चेयरमैन अशोक मीणा ने एक समाचार पत्र को बताया कि इस साल सरकार की कुल गेहूं खरीद 260 लाख टन तक सीमित रह सकती है. सरकार ने 341 लाख टन खरीद का लक्ष्य रखा हुआ है. लेकिन निजी व्यापारी किसानों को उनकी फसल का समर्थन मूल्य से ज्यादा भाव दे रहे हैं. ऐसे में सरकारी एजेंसियों को खरीद के लिए पर्याप्त गेहूं नहीं मिल पा रहा. सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 रुपए तय किया हुआ है और कई मंडियों में निजी व्यापारी किसानों को इससे ज्यादा भाव दे रहे हैं. सरकारी एजेंसियां 7 मई तक 246.5 लाख टन गेहूं की खरीद कर पाई हैं.
भंडार की जांच
उधर मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में अनाज गोदामों के भंडार की जांच के लिए गोदामों से गेहूं, चना और सरसों के स्टॉक को बाहर निकालने के लिए अस्थाई रोक लगा दी है. राज्य सरकार ने पिछले महीने ही यह आदेश जारी किया था जिसकी जानकारी अब सामने आई है. माना जा रहा है कि राज्य सरकार के इस आदेश से मध्य प्रदेश में सरकारी एजेसियों को किसानों से फसल खरीद बढ़ाने में मदद मिलेगी.
चावल स्टॉक को तरजीह
पिछले साल दुनियाभर में बढ़ी अनाज की महंगाई और इस साल अलनीनो की आशंका को देखते हुए दुनिया के कई बड़े चावल उत्पादक देश अपने यहां चावल का स्टॉक करने को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. यहां तक की दूसरे देशों से आयात बढ़ा रहे हैं. रिपोर्ट में चावल कारोबारियों के हवाले से कहा गया है कि फिलिपींस, इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम के कई व्यापारियों ने भारत से चावल खरीदने के ऑर्डर दिए हैं. इधर देश में जिन जगहों पर खरीफ फसलों की शुरुआती बुआई शुरू हुई है. वहां पर चावल और तिलहन की खेती पिछले साल के मुकाबले करीब 7 फीसद तक पिछड़ी हुई है. यह सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय है.