शेयर बाजार में टायर बनाने वाली कंपनियों के शेयर सुर्खियों में हैं. कारोबार के दौरान बुधवार को Apollo Tyres के शेयर में 4 फीसद से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. बावजूद इसके कि वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में आय को छोड़कर कंपनी के नतीजे बाजार अनुमान से बेहतर रहे हैं.
ये है वजह
अपोलो टायर के शेयर में गिरावट की दो मुख्य वजह हैं. पहली ये कि बाजार पहले से ही अच्छे नतीजों की उम्मीद करके चल रहा था और यही कारण है कि शेयर नतीजों से पहले 5 दिन तक लगातार मजबूत रहा है. इन पांच दिनों में यह शेयर 10 फीसदी की मजबूती दर्ज कर चुका था. यही नहीं 6 महीने में शेयर करीब 25 फीसदी और 1 साल में करीब 85 फीसदी बढ़ चुका है. दूसरा ये कि कंपनी का मुनाफा साल दर साल लगभग 4 गुना बढ़ा है. पर मुनाफे में बढ़त टैक्स और ब्याज खर्च में कमी के चलते देखने को मिली है.. तिमाही दर तिमाही टैक्स भुगतान 132 करोड़ रुपए से घटकर 99 करोड़ रुपए पर रहा और ब्याज खर्च तिमाही दर तिमाही करीब 142 करोड़ रुपए से घटकर 139 करोड़ रुपए पर पहुंच गया. नतीजों की बात करें तो Q4 में कंपनी का मुनाफा 113.4 करोड़ रुपए से 3.8 गुना बढ़कर 427.3 करोड़ रुपए पर रहा है. कामकाजी मार्जिन 11.2 फीसदी से बढ़कर 16 फीसदी पर रहे हैं. इसके बावजूद आय 5578 करोड़ रुपए से केवल 12 फीसदी बढ़कर 6247 करोड़ रुपए पर रही है.
SCI के शेयर में जोरदार तेजी
वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में अच्छे नतीजों के दम पर शिपिंग क्षेत्र से जुड़ी सरकारी कंपनी SCI के शेयर में बुधवार को 9 फीसदी तक का उछाल देखने को मिला है. दिन के दौरान शेयर ने 100 रुपए का स्तर भी पार किया. चौथी तिमाही में कंपनी का मुनाफा 183.9 फीसदी यानी लगभग 3 गुना बढ़कर 359.8 करोड़ रुपए पर रहा है.. जो पिछले साल की समान अवधि में 126.7 करोड़ रुपए पर था. इस दोरान कंपनी की आय साल दर साल 1355.1 करोड़ रुपए से 7.2 फीसदी बढ़कर 1,452.2 करोड़ रुपए पर रही.
पूरे वित्त वर्ष की बात करें तो .FY23 में कंपनी का मुनाफा 1.3 फीसदी बढ़कर 800.1 करोड़ रुपए पर रहा जो FY22 में 790.1 करोड़ रुपए पर था. वहीं आय 5086.3 करोड़ रुपए से 16.1 फीसदी बढ़कर 5,906.7 करोड़ रुपए पर रही है. शेयर में तेजी के पीछे एक वजह विनिवेश से भी जुड़ी है. अप्रैल में खबर थी कि कई सालों की देरी के बाद सरकार मई में इस कंपनी के निजीकरण के लिए वित्तीय बोलियां मंगवा सकती है. फरवरी में सभी नियामक मंजूरियां मिलने के बाद मार्च में इस कंपनी ने अपने नॉन-कोर कारोबार का डीमर्जर कर दिया था…फिलहाल सरकार का इस कंपनी में 63.75 फीसदी हिस्सा है.