निवेश के लिए यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी ULIP काफी चर्चित प्लान हैं. बीमा कंपनियां इन प्रोडक्ट्स को बड़े ही जोर-शोर के साथ बेचती हैं. यूलिप की लोकप्रियता के पीछे की एक बड़ी वजह है कि यह निवेश और बीमा कवर देने के साथ टैक्स भी बचाता है. इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख की सीमा के अंदर यूलिप के प्रीमियम पर टैक्स छूट क्लेम किया जा सकता है. लेकिन अगर आप 2.5 लाख रुपए से ज्यादा का प्रीमियम भर रहे हैं तो टैक्स बचेगा नहीं बल्कि आपको ज्यादा टैक्स देना होगा. एक फरवरी 2021 के बाद से खरीदे गए यूलिप पर नए टैक्स के नियम लागू हो गए हैं. यूलिप में निवेश के तहत टैक्स तभी बचेगा जब सालाना प्रीमियम 2.5 लाख से कम रहेगा.
टैक्स का प्रावधान
नए नियमों के तहत 2.5 लाख रुपए के सालाना प्रीमियम वाले यूलिप की मैच्योरिटी पर हुए मुनाफे को कैपिटल गेन माना जाएगा. इनकम टैक्स के सेक्शन 112A के तहत टैक्स देनदारी तय की जाएगी. 12 महीने के भीतर निकासी करने पर 15 फीसद की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. एक साल बाद निकासी करने पर 10 फीसद की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होगा. इसमें एक लाख रुपए तक के लाभ को टैक्स फ्री रखा गया है. अगर किसी के पास अलग-अलग यूलिप प्लान हैं और सब मिलाकर सालान एग्रीगेट प्रीमियम 2.5 लाख से ज्यादा का है तब भी गेन्स पर टैक्स देना होगा.
इनकम टैक्स की धारा 10(10D) के तहत इंश्योरेंस की मैच्योरिटी राशि टैक्स-फ्री होती है. लेकिन यूलिप की मैच्योरिटी रकम सेक्शन 10 (10D) के तहत तभी तक टैक्स फ्री होगी जब पॉलिसी का प्रीमियम सम एश्योर्ड का 10% से ज्यादा न हो. अप्रैल 2012 से पहले के यूलिप प्लान में प्रीमियम को समएश्योर्ड का पांच गुना होना चाहिए. ऐसे में यूलिप में निवेश करें तो टैक्स प्रावधानों को अच्छी तरह से समझ लें.