पुणे में बीते तीन साल से नौकरी कर रहे सुमित बड़े खुश हैं. अब उन्हें अपने घर यानी गुरुग्राम नौकरी मिल गई. नई कंपनी का सैलरी अकाउंट जिस बैंक में खुलना था वहां पहले से ही सुमित का खाता था. हालांकि 5 6 साल पुराना था.. तो उसे एक्टिव करवाना था. खाता एक्टिव करवाने जब वो बैंक की शाखा में पहुंचे तो उनसे मैनेजर ने पहले 6000 रुपए जमा करने को कहा. सुमित सन्न रह गए. सुमित को समझ नहीं आ रहा है कि गुरुग्राम छोड़ते समय उनके खाते में 1200 रुपए जमा थे तो फिर बैंक छह हजार रुपए और क्यों मांग रहा है?
मजबूरी यह है कि पहले से खाता होने पर वे नया खाता भी नहीं खुलवा सकते यानी जुर्माना भरके इसे एक्टिव करवाना ही इकलौता विकल्प है… पर सवाल यह है कि यह पेनल्टी लगी क्यों? यह समस्या दरअसल केवल सुमित की नहीं है, जो लोग बार–बार जॉब बदलते हैं और पुराने सैलरी अकाउंट को बंद नहीं कराते तो उन्हें इस तरह की समस्या से दो–चार होना पड़ता है.
सैलरी अकाउंट जीरो बैलेंस पर खोला जाता है. अगर उसमें तीन महीने तक सेलरी नहीं पहुंची तो वह बचत खाते की श्रेणी में आ जाता है. नियमों के तहत बचत बैंक खातों में एक मंथली एवरेज बैलेंस रखना होता जो न्यूनतम 500 रुपए से लेकर 10 हजार तक हो सकता है. न्यूनतम राशि जमा न रखने पर बैंक अपनी पॉलिसी के हिसाब से आपके खाते से पैसे काटना शुरू कर देता.
सालाना कितना शुल्क
बैंक में खाता खुलवाने पर कोई अलग से चार्ज नहीं लगता लेकिन बहुत से बैंक अपने डेबिट कार्ड पर कुछ फीस लेते हैं। ये फीस सालाना 100 से 1000 रुपए तक होती है. अगर आप अपने अकाउंट का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तब भी आपको डेबिट कार्ड की फीस भरनी पड़ेगी. बैंक आपके फोन पर SMS भेजने का चार्ज भी वसूलते हैं जो 30 रुपए प्रति तिमाही हो सकता है। इस राशि पर 18 फीसद जीएसटी अलग से वसूला जाता है.
इस तरह बैंक आपके खाते से विभिन्न मदों में पैसा काटता रहता है. जब खाते में जमा राशि शून्य हो जाती है तो आपके ऊपर पेनाल्टी के पेनाल्टी जुड़ती चली जाती है. इस रकम जमा न करने पर बैंक आपको डिफॉल्टर भी घोषित कर सकता है. ऐसी स्थिति बनने पर आपका सिबिल रिकॉर्ड खराब हो सकता है.
अगर आप अपने बैंक अकाउंट में लगातार 12 महीने तक कोई लेनदेन नहीं करते हैं तो बैंक आपके खाते को इनएक्टिव अकाउंट मान लेगा। अगर इसमें अगले 12 महीने तक कोई लेनदेन नहीं होता है तो यह खाता डॉर्मेंट अकाउंट की श्रेणी में आ जाता है.
हालांकि इनएक्टिव अकाउंट में बैंक लेनदेन करने को बैंक मना नहीं करते लेकिन किसी डॉर्मेंट अकाउंट से आप नेट बैकिंग, एटीएम ट्रांजेक्शन या मोबाइल बैंकिग नहीं कर सकते. यहां तक की बैंक आपको डेबिट कार्ड, चेक बुक और पता बदलने के लिए भी मना कर सकते हैं.
टैक्स एवं इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं कि व्याहारिक तौर पर तो बैंकों को पेनाल्टी काटने से पहले ग्राहक को सूचना देनी चाहिए. होमलोन और पर्सनल लोन के मामले में वह ऐसा करते भी हैं. अगर किसी खाते में जमा राशि शून्य हो जाती है तो उसे बंद कर देना चाहिए. लेकिन कमाई के चक्कर में बैंक नैतिकता को ताक पर रखकर लोगों की जेब ढीली कर रहे हैं.
मनी9 की सलाह
मौजूदा व्यवस्था में जरूरत से ज्यादा बैंक खाते रखने में कोई समझदारी नहीं है. अगर आप किसी बैंक खाते का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो उसे तुरंत बंद करा देना चाहिए.