अगर आपके पास आयकर विभाग की ओर से कोई नोटिस आए तो उसका जवाब जरूर दें नहीं आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने वित्त वर्ष 2023-24 के टैक्स रिटर्न की पूरी जांच के लिए जरूरी दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसमें इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) से जुड़े मानक और प्रक्रिया की जानकारी दी गई है. दिशानिर्देशों में अलग-अलग उदाहरणों, घटनाक्रमों, मामलों से जुड़े सर्वे, रिटर्न के जमा न होने और टैक्स से जुड़ी जरूरी चीजों के बारे में बताया गया है.
क्या है मकसद?
सीबीडीटी की ओर से इस तरह के दिशानिर्देश को जारी करने का मकसद जांच को प्रभावी बनाना है. साथ ही कर नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करना है. साथ ही जिन मामलों में आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत नोटिस दिया गया है और मूल्यांकन अधिकारी का मानना है कि अगर किसी व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम मूल्यांकन से बच गई है, उसे भी जांच के दायरे में लाया जाएगा. वहीं जिन मामलों में जांच चल रही है और किसी वजह से रुकी हुई है, उसे भी संज्ञान में लाया जाएगा. इस प्रक्रिया के जरिए आयकर विवाद से जुड़े मामलों में कमी लाना है.
गलती सुधारने का मौका
दिशानिर्देशोंं के तहत जांच के लिए चुने गए मामलों को तब तक नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर (NaFAC) में ट्रांसफर नहीं किया जाएगा जब तक कि मामला अपने आप ट्रांसफर न हुआ हो. सीबीडीटी ने स्पष्ट किया है कि अनिवार्य जांच के चयन के बाद उसकी पहुंच या इसके बाद होने वाली कार्रवाई के लिए एनएएफएसी से किया गया संचार, इंटरनेशन टैक्सेशन और केंद्रीय शुल्कों पर लागू नहीं होगा.
NaFAC को मामलों के चयन और ट्रांसफर के लिए 9 जून आखिरी तारीख के तौर पर तय की गई है. इसमें मूल्यांकन को फेसलेस तरीके से पूरा किया जाना है. इसके अलावा धारा 143 (2) के तहत सेवा नियम और अनिवार्य जांच के चुनाव की अंतिम तारीख 30 जून निर्धारित की गई है. धारा 143(2) के तहत जांच के दौरान कोई गलती मिलने या कमी रहने पर खुद के बचाव का मौका दिया जाता है.
सीबीडीटी के अनुसार वित्त अधिनियम 2021 में लाए गए संशोधनों के अनुसार, अधिनियम की धारा 143 (2) के तहत नोटिस की समय सीमा को वित्तीय वर्ष के अंत से घटाकर तीन महीने कर दिया गया है.