पैतृक और पिता की संपत्ति में क्या है फर्क, क्या है बेटियों का हक? यहां मिलेगी जानकारी

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में 2005 में संशोधन किया गया था ताकि बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा दिया जा सके.

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अदालती मामलों की सुनवाई, दाखिल होने वाले जवाबी हलफनामे, अवमानना के मामलों और ऐसे मामलों पर सम्बंधित विभागों को तुरंत अलर्ट भेजा जाएगा Picture: Pixabay

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कई बार लोगों के जहन में एक सवाल रहता है कि पिता की मृत्यु के बाद से क्या उनके नाम की संपत्ति में विवाहित बेटी का भी हक होता है. इसे लेकर कम ही लोगों को जानकारी है. बहुत से लोग इसे लेकर कानूनी प्रावधानों को नहीं जानते. इसके अलावा पिता की और पैतृक संपत्ति के बीच का अंतर भी लोगो को मालूम नहीं है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.

पैतृक संपत्ति और पिता (खुद की कमाई) की संपत्ति में अंतर

किसी पुरुष को विरासत में मिलने वाली संपत्ति को पैतृक संपत्ति कहा जाता है. जबकि, उसके खुद के प्रयासों से कमाई गई संपत्ति स्वअर्जित संपत्ति कहलाती है.

प्रॉपर्टी एक्ट 1956 के तहत अगर किसी प्रॉपर्टी में आपके पिता उत्तराधिकारी हों और वो चार पीढ़ी यानी दादा, परदादा के वक्त से परिवार के पास हो तो वो एक पैतृक संपत्ति है.

दूसरी ओर, पिता की संपत्ति ऐसी संपत्ति है जो उन्होंने अपने खुद के प्रयासों से अर्जित की हो.

पैतृक संपत्ति में बेटे के साथ बेटी अपने आप ही हिस्सेदार हो जाती है, लेकिन बहू का अधिकार नहीं होता है. जबकि स्वअर्जित में व्यक्ति जिसे चाहे, उत्तराधिकारी बना सकता है. हां, पिता के निधन के बाद बेटे और बेटी का समान अधिकार होता है.

पैतृक संपत्ति में जब तक पिता जीवित है तब तक उनकी संतानों का अधिकार नहीं बनता है.

बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में 2005 में संशोधन किया गया था ताकि बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा दिया जा सके. पैतृक संपत्ति के मामले में एक बेटी के पास अब जन्म के आधार पर एक हिस्सा है, जबकि स्व-अर्जित संपत्ति को वसीयत के प्रावधानों के अनुसार वितरित किया जाता है. यदि पिता का निधन हो जाता है, तो उनकी मर्जी के बिना भी पैतृक और स्व-अर्जित संपत्ति दोनों में बेटी को बेटे के बराबर अधिकार मिलता है.

2020 में आया एक बड़ा फैसला

पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत ने बेटी को भी पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बेटियों को भी बेटों के समान ही हिस्सा मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक देने की जो व्यवस्था की गई थी.

2005 के बाद जन्म लेने वाली बेटियों के लिए तो यह फैसला संशोधन के बाद से ही लागू हो चुका है. हालांकि, इसे लेकर एक विवाद यह था कि अगर पिता की मृत्यु 2005 के पहले हो गई तो क्या ये कानून बेटियों पर लागू होगा या नहीं.

लेकिन, अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पैतृक संपत्ति में बेटी को हिस्सा देने से इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता कि उसका जन्म 2005 में बने कानून से पहले हुआ है.

Published - June 8, 2021, 01:48 IST