जैसे-जैसे देश में कोविड-19 (Corona) के सक्रिय मामले कम हो रहे हैं, भारत धीरे-धीरे कोरोना की दूसरी लहर के विनाशकारी दौर से बाहर निकलता दिख रहा है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि संभावित तीसरी लहर को रोकने के लिए टीकाकरण में जल्द ही तेजी लाने की आवश्यकता है. सरकार ने जून में घोषणा की थी कि उसकी कोशिश है कि टीकाकरण अभियान को तेज करके 2021 के अंत तक देश की पूरी वयस्क आबादी को वैक्सीन दे दी जाए. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई टीकाकरण योजना की घोषणा कर चुके हैं. इसके तहत सरकार द्वारा टीकों की खरीद बढ़ाते हुए 21 जून से 18 वर्ष से अधिक के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन दी जा रही है.
विभिन्न टीके और उनकी लागत
सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम में फिलहाल मुख्य रूप से दो प्राथमिक टीके कोविशील्ड और कोवैक्सीन शामिल हैं. कोविशील्ड का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के सहयोग से किया जा रहा है, जबकि कोवैक्सीन का निर्माण भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा किया जा रहा है. रूस की वैक्सीन स्पुतनिक वी को देश में इस्तेमाल की हरी झंडी मिल चुकी है और भारत में डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज द्वारा इसका उत्पादन किया जा रहा है. स्पुतनिक सहित मॉडर्न, फाइजर, बायो-ई और जायडस कैडिला द्वारा बनाए गए टीकों को भी आने वाले दिनों में सरकारी टीकाकरण में शामिल किया जा सकता है.
कोविड वैक्सीन की कीमत की बात करें, तो सरकार के राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत कोविशील्ड और कोवैक्सीन लोगों को बिल्कुल मुफ्त दी जा रही है. स्पुतनिक वी के साथ ये टीके भी निजी अस्पतालों में भी उपलब्ध हैं. सरकार की नई वैक्सीन खरीद नीति के अनुसार निजी क्षेत्र को उत्पादित कुल टीकों के 25% की बिक्री की जा सकती है, जबकि 75% सरकारी खरीद के लिए आरक्षित है.
निजी अस्पतालों में भी वैक्सीन की कीमतों को सरकार ने नियंत्रित कर रखा है. सरकार के निर्देश के अनुसार, कोविशील्ड की कीमत 780 रुपये, कोवैक्सीन की 1,410 रुपये और स्पुतनिक के लिए 1,145 रुपये की सीमा तय की गई है. टीका लगाने के लिए निजी अस्पताल अधिकतम 150 रुपये का सेवा शुल्क ले सकते हैं. राज्य सरकारों को इस पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं.
मॉडर्ना की वैक्सीन को भारत में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिल गई है और इसे दवा कंपनी सिप्ला द्वारा देश में आयात किया जाएगा. सरकारी टीकाकरण में इस वैक्सीन को शामिल करने को लेकर सरकार का कहना कि वह कुछ मुद्दों पर मॉडर्ना के जवाब का इंतजार कर रही है और उसके साथ बातचीत अभी खत्म नहीं हुई है. फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन को भारत में अपने टीकों के लिए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए आवेदन दाखिल करना बाकी है.