सरकार ने बुधवार को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े जारी किए. इस दौरान जीडीपी ग्रोथ अनुमान से बेहतर रही. पूरे वित्त वर्ष में 7.2 फीसद ग्रोथ दर्ज की गई और मार्च तिमाही में 6.1 फीसद ग्रोथ रही. ऊपर से देखें तो जीडीपी ग्रोथ के ये आंकड़े अर्थव्यवस्था में रिकवरी का संकेत दे रहे हैं, लेकिन आंकड़ों के भीतर कुछ ऐसे भी हिस्से हैं जहां पर ग्रोथ को लेकर चुनौती नजर आ रही है.
देश की कुल जीडीपी में सबसे बड़ा हिस्सा निजी खपत का रहता है. वित्त वर्ष 2022-23 में कुल जीडीपी ग्रोथ में निजी खपत की हिस्सेदारी 58.5 फीसद दर्ज की गई है. लेकिन तिमाही आधार पर देखें तो निजी खपत की हिस्सेदारी बढ़ने के बजाय घटी है. मार्च तिमाही में कुल जीडीपी ग्रोथ में निजी खपत की हिस्सेदारी 55 फीसद दर्ज की गी है, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 की मार्च तिमाही में यह हिस्सेदारी 56.7 फीसद थी. इस बार मार्च तिमाही में ग्रोथ को बढ़ाने में एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का बड़ा योगदान रहा है, लेकिन वह भी तभी संभव हो सका है जब पिछले साल की मार्च तिमाही का बेस कम था.
इस बार मार्च तिमाही में जीडीपी को 6 फीसद के ऊपर पहुंचाने में सबसे ज्यादा योगदान कंस्ट्रक्शन, सर्विस और कृषि सेक्टर का रहा है. कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर में ज्यादा ग्रोथ की वजह पिछले साल की मार्च तिमाही का छोटा बेस है. पिछले साल मार्च तिमाही के दौरान कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ सिर्फ 4.9 फीसद थी जबकि इस साल 10.4 फीसद दर्ज की गई है, इसी तरह पिछले साल ट्रेड होटल ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन सर्विसेज सेक्टर की ग्रोथ 5 फीसद थी जबकि इस साल यह 9.1 फीसद दर्ज की गई है. कृषि सेक्टर में पिछले मार्च तिमाही के दौरान 4.1 फीसद ग्रोथ दर्ज की गई थी जबकि इस साल 5.5 फीसद ग्रोथ रिकॉर्ड की गई है. इसके अलावा इस साल मार्च तिमाही में फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर और बिजली पानी और गैस सप्लाई से जुड़ी सेवाओं के सेक्टर में भी ग्रोथ रही है.