सार्वजनिक क्षेत्र की अपेक्षा निजी क्षेत्र में नौकरियों पर ज्यादा खर्च हो रहा है. ये अंतर बीते कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ा है. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की नौकरियों के बीच वित्तीय वर्ष 2022 में वेतन बिल के अंतर में लगभग एक फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, निजी क्षेत्र का वेतन बिल मार्च 2022 को ख़त्म वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का 12.7 फीसदी था, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के लिए यह 11.8 फीसदी था. 10 साल पहले सार्वजनिक क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में 12.4 प्रतिशत का बड़ा हिस्सा था जबकि निजी क्षेत्र का हिस्सा 9.8 फीसदी था. कोरोना की महामारी से पहले वित्तीय वर्ष 2020 में निजी क्षेत्र ने वेतन बिल के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र को पीछे छोड़ दिया था.
ईटी की रिपोर्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के हवाले से कहा गया है कि सरकारी की तुलना में निजी क्षेत्र का वेतन तेजी से बढ़ रहा है और नौकरियों में भी बढ़ोतरी ज्यादा है”. सबनवीस ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में नौकरी की धीमी बढ़ोतरी भी अंतर को बढ़ाने का एक कारण हो सकती है.देखने में आया है कि बीते कुछ सालों में सरकारी विभागों में नौकरियां कम निकली हैं और कॉन्ट्रैक्ट आधार पर नौकरियों का चलन शुरू हुआ है. वहीं कुछ राज्यों ने सातवें वेतन आयोग को लागू करने में देरी की जिस वजह से वेतन बिलों के बीच अंतर बढ़ गया है.
निजी क्षेत्र का वेतन वित्त वर्ष 20 से वित्त वर्ष 22 तक 20.3 फीसदी बढ़ा, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के लिए ये वृद्धि 12.5 फीसदी रही. इसके पीछे कारण है कि निजी क्षेत्र में अच्छी ख़ासी नौकरियों के मौके बने. इस अवधि के दौरान नॉमिनल जीडीपी 16.8 फीसदी बढ़ी.