पिछले महीने, भारत में यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) ने 10 अरब लेनदेन का एतिहासिक आंकड़ा पार किया है. लेकिन इसका एक दूसरा काला पहलू भी है. यूपीआई का बढ़ते इस्तेमाल के साथ इससे जुड़े फ्रॉड भी लगातार बढ़ रहे हैं. इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक 30 फीसदी से ज्यादा यूपीआई फ्रॉड के मामलों को तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल से अंजाम दिया गया. मई में प्रैक्सिस द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक दर्ज किए गए कुल डिजिटल पेमेंट फ्रॉड में से करीब 55 फीसदी फ्रॉड यूपीआई से जुड़े हैं.
फ्रॉड की औसत रकम है कम
रिपोर्ट के मुताबिक 50 फीसदी फ्रॉड के मामलों में राशि 10,000 रुपए से कम है. 48 फीसदी मामलों में राशि का आकार 10 हजार से एक लाख रुपए के बीच है. यूपीआई से जुड़े कुल मामलों में से 2 फीसदी मामले ऐसे हैं, जिसमें फ्रॉड की रकम एक लाख रुपए से ज्यादा है.
हर महीने होते हैं 80 हजार फ्रॉड
देश में होने वाले यूपीआई फ्रॉड का कोई आधिकारिक आंकड़ा अभी तक मौजूद नहीं है. लेकिन पिछले साल बजाज फिनसर्व ने बताया था कि भारत में औसत रूप से हर महीने 80,000 यूपीआई फ्रॉड होते हैं. औन इन मामलों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है.
अलग-अलग तरीके से फ्रॉड
विेशेषज्ञों ने बताया कि हैकर्स फ्रॉड के लिए कई अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं. वे फिशिंग अटैक, मालवेयर, स्पूफिंग, यूपीआई आईडी, डिवाइस की रिमोट मॉनिटरिंग सहित कई तरीके अपना रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि हमलावर आगे चलकर एआई और मशीन लर्निंग जैसे नई तकनीक का इस्तेमाल फ्रॉड के लिए कर सकते हैं.
डिजिटल फ्रॉड में हो रही बढ़ोतरी
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के जरिये होने वाले फ्रॉड के मामले एक साल में करीब दोगुने हो गए हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में इस तरह के फ्रॉड के 3596 मामले दर्ज किए गए, जिनका मूल्य 155 करोड़ रुपए था. वित्त वर्ष 2022-23 में इन मामलों की संख्या बढ़कर 6659 और मूल्य 276 करोड़ रुपए रहा. वहीं दूसरी ओर ओवरऑल बैंकिंग फ्रॉड इस दौरान कम हुए. वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकिंग फ्रॉड की राशि 59,819 करोड़ रुपए थी, जो वित्त वर्ष 2022-23 में घटकर 30,252 करोड़ रुपए रह गई.
इस तरह बचें फ्रॉड से
यूपीआई फ्रॉड से बचने का सबसे मूलभूत नियम है कि यूजर्स यूपीआई आधारित लेनदेन में बेसिक डिजिटल हाईजीन का पालन करें. यूपीआई पिन को गोपनीय रखें और कभी भी किसी के साथ यूपीआई पिन, ओटीपी या कोई भी अन्य संवेदनशील जानकारी साझा न करें. बैंक या यूपीआई सर्विस प्रदाता के नाम पर कोई फोन कर इस तरह की जानकारी मांगे, तो उसे कभी अपनी जानकारी न दें.