कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने देश में मोटे अनाजों को लेकर कहा था कि मोटे अनाज की मांग पहले ही दुनिया में बहुत अधिक थी, लेकिन कोरोना के बाद ये इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बहुत प्रसिद्ध हो चुका है. वहीं दुनियाभर में ज्वार-बाजरा जैसे अनाज को बढ़ावा देने को लेकर भारतीय पहल को बड़ी कामयाबी मिली है. वर्ष 2023 को मिलेट (बाजरा) अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने मंजूर कर लिया है. इसे लेकर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने भारत के प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को धन्यवाद दिया है. उन्होंने (Narendra Modi) कहा कि इस कामयाबी से कृषि वैज्ञानिकों और स्टार्टअप्स के लिए रिसर्च की नई संभावनाएं तैयार होंगी. साथ ही ज्वार-बाजरा के उपभोग से पोषण व खाद्य सुरक्षा के साथ किसानों का भी कल्याण सुनिश्चित होगा.
यूएन में भारत प्रायोजित प्रस्ताव को मंजूरी मिली
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र में ज्वार-बाजरा (मिल्स) के अंतरराष्ट्रीय वर्ष पर आज भारत प्रायोजित प्रस्ताव को मंजूरी मिली है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत ने इसकी जानकारी देते हुए खुशी जताई. उन्होंने (Narendra Modi) कहा कि भोजन की टोकरी और प्रभाव नीति में परिवर्तन के प्रमुख घटक के रूप में पोषण और पारिस्थितिक लाभों को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है. ऐसे में सभी सह-प्रायोजकों, विशेष रूप से बांग्लादेश, केन्या, नेपाल, नाइजीरिया, रूस व सेनेगल तथा संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को उनके मजबूत समर्थन के लिए भारत धन्यवाद ज्ञापित करता है.
पीएम ने कहा भारत के लिए गर्व का क्षण
इसके बाद ही पीएम मोदी (Narendra Modi) ने ट्वीट कर संयुक्त राष्ट्र में मिली सफलता को भारत के लिए गर्व का क्षण बताया. उन्होंने ट्वीट कर संयुक्त राष्ट्र में बाजरे पर संकल्प की शुरुआत करने तथा सह-प्रायोजित करने वाले सभी देशों का आभार जताया. उन्होंने बताया कि विशिष्ट प्रतिनिधियों को स्वादिष्ट ज्वार-बाजरा मुरक्कू भी परोसा गया. यह एक स्नैक है, जिसका स्वाद वो भी लेते हैं और अन्य साथियों से भी इसे आजमाने का आग्रह करते हैं.
प्रधानमंत्री (Narendra Modi) ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि ज्वार-बाजरा को लोकप्रिय बनाने में भारत सबसे आगे है. इसके उपभोग से पोषण, खाद्य सुरक्षा और किसानों का कल्याण होता है. यह कृषि वैज्ञानिकों और स्टार्ट-अप समुदायों के लिए अनुसंधान और नवाचार के अवसर भी प्रदान करता है.
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ में 70 से ज्यादा देशों ने भारत के इस प्रस्ताव को अपना समर्थन दिया है. भारत के अलावा बांग्लादेश, केन्या, नेपाल, रूस और सेनेगल ने भी 2023 को मिलेट का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव दिया था.