कोविड-19 के बढ़ते मामलों में भले ही तेज इजाफा हो रहा हो, लेकिन इसका असर आर्थिक ग्रोथ पर ज्यादा नहीं पड़ेगा. स्विस ब्रोकरेज हाउस UBS ने कहा है कि कोविड के मामलों में भले ही इजाफा हो रहा है लेकिन इसकी वजह से देशव्यापी/राज्यों में फिर से लॉकडाउन नहीं लगाए जाएंगे. UBS ने ये भी कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर का आर्थिक गतिविधियों पर मामूली असर होगा और इससे GDP ग्रोथ में महज 20-30 bps का ही फर्क आएगा.
11.5% रहेगी भारत की ग्रोथ
UBS सिक्योरिटीज इंडिया की चीफ इकनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता-जैन ने मंगलवार को इस फिस्कल में भारत की ग्रोथ के 11.5 फीसदी पर रहने के अपने पहले के अनुमान को कायम रखा है. उन्होंने कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर ऐसे वक्त पर आई है जबकि वे पिछले फिस्कल की तीसरी तिमाही से प्रमुख आर्थिक इंडिकेटर्स में आए अप्रत्याशित सुधार के चलते ग्रोथ में तेजी का अनुमान लगा रहे थे.
हम मौजूदा फिस्कल के लिए 11.5 फीसदी GDP के पूर्वानुमान पर कायम हैं. हालांकि, हम ये बात मान रहे हैं कि महामारी का डर और बढ़ा है. देश की GDP में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 15 फीसदी है और यहां पर रविवार से लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगा दी गई हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि, GPD ग्रोथ पर इसका असर केवल 20-30 Bps के तौर पर ही दिखाई देगा.
उन्होंने कहा कि लेकिन, तीसरी तिमाही से प्रमुख आर्थिक इंडिकेटर्स में बड़े सुधारों को देखते हुए हम GDP ग्रोथ में इजाफे के जिस अनुमान के बारे में सोच रहे थे वो अब रद्द हो गया है.
स्थानीय लॉकडाउन ही काफी साबित होंगे
उन्होंने कहा कि इस बार 1 लाख केस में से ज्यादातर पांच राज्यों के 26 जिलों से आ रहे हैं. कुल मामलों में इनकी हिस्सेदारी 81 फीसदी से ज्यादा है. इससे पहले यह 56 जिलों और ज्यादा राज्यों में फैला हुआ था.
इसका मतलब है कि अधिकारी स्थानीय लॉकडाउन के साथ इससे निपट सकते हैं. जैसा कि महाराष्ट्र ने किया है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि 50 फीसदी से ज्यादा संक्रमण के मामलों वाले महाराष्ट्र में भी कोई राज्यव्यापी लॉकडाउन लगाया जाएगा.
उन्होंने उम्मीद जताई कि वैक्सीनेशन की रफ्तार में भी इजाफा होगा. उन्होंने कहा कि 16 जनवरी को वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरुआत के वक्त हर रोज 4 लाख डोज लगाई जा रही थीं, अब ये तादाद बढ़कर 35 लाख डोज रोजाना पर पहुंच गई है और इस मामले में देश चीन के बाद दूसरे नंबर पर आ गया है.