TRAI का नया नियम, जिससे OTP आने बंद हो गए, जानें क्या होती है SMS Scrubbing?

TRAI ने नए नियम को अमल में लाने की तारीख को 7 दिन के लिए बढ़ा दिया है. अब अगले सात दिनों तक आपको OTP and SMS मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी.

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SMS Scrubbing: पिछले कुछ दिनों से बैंक और ई-कॉर्मस कंपनियों के कस्टमर्स को वन टाइम पासवर्ड और SMS न मिलने की शिकायत थी. कंपनियों को भी इस दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था. इसके चलते डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शंस में भी काफी दिक्कतें आईं. Co-WIN पर रजिस्ट्रेशन के लिए भी लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी है. दरअसल, इसके पीछे ट्राई (TRAI) का एक नियम है. टेलिकॉम सर्विस प्रावाइडर्स ने एसएमएस रेगुलेशन के दूसरे फेज को लागू करना शुरू कर दिया है. टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) की नई गाइडलइन लागू की गई है, जो SMS स्क्रबिंग की प्रक्रिया को लेकर है.

अब अगले सात दिनों तक आपको OTP and SMS मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी. TRAI ने नए नियम को अमल में लाने की तारीख को 7 दिन के लिए बढ़ा दिया है. TRAI ने पहले इंडस्ट्री को 2 साल का समय दिया था, लेकिन आम आदमी को दिक्कतों को देखते हुए यह फैसला लिया गया. सोमवार से बैंक से लेकर आधार तक सभी OTP सर्विस प्रभावित थी, जिससे OTP BASE सर्विस लगभग बंद हो गई थी. इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

SMS स्क्रबिंग क्या है?
हर SMS कंटेंट को भेजने से पहले उसकी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को स्क्रबिंग कहते हैं. नए नियम लागू होने के बाद टेलिकॉम ऑपरेटर्स ने बिना वेरिफिकेशन वाले SMS को ब्लॉक कर दिया था. हालांकि, इसके लागू होने के बाद कई पेमेंट सर्विस के लिए ओटीपी भेजने की प्रक्रिया में रुकावट आई. बैंकों को ग्राहकों से ढ़ेरों शिकायतें मिलने लगी कि उन्हें पैसे ट्रांसफर करने के लिए OTP नहीं मिला.

क्या है नया नियम?
साल 2018 में ट्राई ने नॉन-कॉमर्शियल कम्यूनिकेशंस को लेकर एक ड्राफ्ट जारी किया था. इसे 8 मार्च 2021 को लागू कर दिया गया. इस नियम के तहत टेलीकॉम कंपनियों को हर SMS कंटेट को भेजने से पहले रजिस्टर्ड टेक्स्ट से वेरिफाई करने की बात है. टेलीकॉम ऑपरेटर्स की तरफ से तैनात किया गया ब्लॉक्ड चेन बेस्ड सॉल्यूशन मैसेज सेंड करने वाले की आईडी चेक करता है. अगर मैसेज टेक्स्ट नॉन रजिस्टर्ड आईडी से है तो उसे ब्लॉक कर दिया जाता है.

ट्राई ने क्यों लागू किया नया नियम ?
ट्राई के मुताबिक, टेलिमार्केटिंग कंपनियां आजकल सब्सक्राइबर की बताई गई प्राथमिकता का पालन नहीं करती हैं. वे उनकी सहमति होने का दावा करती हैं, जिसे छल से लिया जा सकता है. रेगुलेटर ने कहा था कि नए रेगुलेशन सब्सक्राइबर को उनकी सहमति पर पूरा नियंत्रण देते हैं और इसे वापस लेने की भी सुविधा देते हैं. इससे मौजूदा नियमों का गलत इस्तेमाल रुकेगा.

Published - March 9, 2021, 06:54 IST