पिछले साल लॉकडाउन से कुछ महीनों तक अपने घरों के अंदर कैद रहे यात्रा-प्रेमी लोगों के लिए अब अपने घरों से बाहर निकलने के अवसरों की तलाश करना स्वाभाविक है. कोविड -19 महामारी से प्रभावित पर्यटन क्षेत्र को भी इस झटके से उबरने के लिए यात्रा प्रेमियों के बाहर निकलने और उनके सपोर्ट की आवश्यकता है. घरेलू पर्यटन क्षेत्र को सभी जरूरी सावधानियां बरतते हुए अब पूरी रफ्तार से आगे बढ़ना चाहिए. वैक्सीन लगा चुके लोगों के साथ पर्यटन स्थल फिर से गुलजार हो सकते हैं. हमें अब यात्राएं करनी चाहिए और विविधताओं से भरे इस देश में विभिन्न अनुभवों को जीना चाहिए.
आईआरसीटीसी की चार धाम यात्रा सेंटिमेंट्स को पुनर्जीवित करने और यात्रियों को एक बार फिर से पहले की तरह जीवन का आनंद लेने में मदद करने का एक अच्छा तरीका है. एक समृद्ध पर्यटन उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और टीकाकरण की दर वांछित स्तर तक पहुंचने के साथ ही ऐसा कोई कारण शेष नहीं है, जिससे लोगों को बाहर निकलने में झिझकना चाहिए.
हालाँकि, इस समय अंतर्राष्ट्रीय यात्रा से बचना चाहिए. अंतर्राष्ट्रीय यात्रा से संबंधित अभी भी विभिन्न प्रतिबंध और जोखिम हैं और जब तक अत्यंत महत्वपूर्ण न हो, इसे टाला जाना चाहिए. भारतीय पर्यटन क्षेत्र को भी इसे अपनी पेशकशों और सेवाओं में सुधार के अवसर के रूप में देखना चाहिए.
पर्यटन एक विशाल क्षेत्र है, जिसमें भारी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है. जैसे परिवहन के विभिन्न साधन, होटल, भोजन और पेय पदार्थ व विभिन्न सेवाओं के माध्यम से. यह एक विशाल असंगठित क्षेत्र है, जो बड़ी संख्या में ब्लू-कॉलर श्रमिकों और उनके परिवारों को रोजी-रोटी प्रदान करता है. ये लोग महामारी से सबसे अधिक प्रभावित थे.
बहुत से भारतीय विदेशी गंतव्यों में आकर्षित होते हैं और घरेलू पर्यटकों को कम करके आंकते हैं. उन्हें दोष नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे उन देशों द्वारा नियोजित रचनात्मक एजेंसियों की मार्केटिंग से प्रभावित हैं. भारतीय ट्रैवल एजेंसियां इससे एक सीख ले सकती हैं.