क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) और क्रिप्टो एक्सचेंजों में चल रही अनिश्चितता के बीच आयकर विभाग की हालिया कार्रवाई एक्सचेंजों के लिए संकट बढ़ा सकती है. आयकर विभाग ने तीन क्रिप्टो एक्सचेंजों को बेचे गए सिक्कों की संख्या, प्रत्येक सिक्के की कीमत और व्यापारियों द्वारा बिक्री के समय की जांच करने के लिए सभी ट्रेड डिटेल और लेजर एंट्रीज प्रस्तुत करने के लिए कहा है.हालांकि, टैक्स अधिकारियों का कहना है कि यह सूचना एकत्र करने के लिए एक नियमित प्रक्रिया है. विभाग बस यह जांच कर रहा है कि सब कुछ ठीक है या नहीं.
मामले से जुड़े हुए एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, “यह केवल एक नियमित जांच है, आईटी विभाग यह समझना चाहता है कि एक्सचेंजों में वास्तव में क्या हो रहा है. सरकार क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने पर भी विचार कर रही है जो एक अच्छी बात है.”
उन्होंने आगे कहा कि टैक्स डिपार्टमेंट के इस तरह की जांच से क्रिप्टोकरेंसी की प्रक्रिया पारदर्शी होगी और सरकार को इंडस्ट्री को अधिक कुशलता के साथ विनियमित करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा, “तो, यह आयकर विभाग की एक नियमित जांच है और यह कोई बड़ी बात नहीं है.”
स्टॉक मार्केट ट्रेडों से संबंधित सभी लेन-देन में आयकर विभाग ब्रोकर्स द्वारा जमा किए गए वित्तीय लेनदेन विवरण की तुलना निवेशकों द्वारा दाखिल संबंधित रिटर्न से कर सकता है. हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन के लिए किसी ब्रोकर की जरूरत नहीं होती है, इसमें ट्रेडर्स सीधे एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर ऑर्डर खरीदते या बेचते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री पर 30% तक टैक्स लगाया जाता है क्योंकि प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम के तहत डिजिटल संपत्ति को ‘प्रतिभूति’ के रूप में परिभाषित नहीं किया जाता है.