हम में से ज्यादातर लोग इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो शब्द से वाकिफ होंगे. लेकिन, यह भी उतना ही सही है कि ज्यादातर लोग इसकी अहमियत को दरकिनार कर देते हैं. तमाम लोगों को ये भी लगता है कि चूंकि वे एक छोटे निवेशक हैं या उनकी कमाई कम है, ऐसे में उनके लिए पोर्टफोलियो बनाने के बारे में सोचना भी बेमतल होगा. लोगों को पोर्टफोलियो एक भारी-भरकम शब्द लगता है. लेकिन, हम यहां पर आपके इस डर को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं.
यहां हम आपको बताएंगे कि कम निवेश के साथ भी आप अपना पोर्टफोलियो बना सकते हैं और भविष्य के अपने वित्तीय लक्ष्य हासिल कर सकते हैं.
अब जब पोर्टफोलियो का जिक्र छिड़ ही गया है तो सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि आखिर ये है क्या बला?
क्या होता है पोर्टफोलियो?
सबसे पहले तो ये डर दिमाग से निकाल दीजिए कि पोर्टफोलियो कोई जटिल चीज होती है. आप बड़े ही आसान तरीके से एक पोर्टफोलियो तैयार कर सकते हैं. आपको बस अपने वित्तीय लक्ष्य तय करने होंगे. इनमें आपके रिटायरमेंट के बाद की पूंजी, एक आकस्मिक फंड, बच्चों की पढ़ाई और शादी, लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस, टर्म इंश्योरेंस और आपके तयशुदा खर्चों और दूसरे खर्चों जैसी चीजें शुमार होती हैं.
इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो किसी निवेशक के कुल एसेट्स को दिखाता है.
इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो एक बास्केट होती है जिसमें स्टॉक्स, बॉन्ड्स, कैश और दूसरे एसेट्स और इनवेस्टमेंट शामिल होते हैं.
इसे तैयार करने के कुछ खास मकसद होते हैं. पहला मकसद ये होता है कि आपको अपने पोर्टफोलियो के जरिए बेहतरीन रिटर्न मिल सके. दूसरा, इसके जरिए आपको रिस्क को मैनेज करने में मदद मिलती है. इसका तीसरा मकसद ये होता है कि आप अपने भविष्य के वित्तीय लक्ष्य पूरे कर पाएं.
एसेट एलोकेशन
एसेट एलोकेशन इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो का ही हिस्सा होता है. इससे यह पता चलता है कि आपने किस एसेट क्लास में कितना पैसा लगाया है. मसलन, एसेट क्लास में गोल्ड, स्टॉक्स, FD, रियल्टी, रिटायरमेंट फंड्स और म्युचूअल फंड्स जैसे अलग-अलग निवेश के साधन आते हैं. इस लिहाज से ये जरूरी नहीं है कि आप कितना निवेश कर रहे हैं, बल्कि जरूरी ये होता है कि आपके निवेश का तरीका क्या है और किस जगह पर आप कितना पैसा लगा रहे हैं.
रिस्क मैनेजमेंट
इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो इस वजह से भी अहम होता है कि इससे आपको अपने निवेश के जोखिम का एक ज्यादा सटीक अंदाजा होता है. अपनी रिस्क लेने की क्षमता और बदलती परिस्थितियों के हिसाब से आप अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं.
निवेश और रिस्क लेने की क्षमता आदि का आकलन करने के लिए किसी फाइनेंशियल एडवाइजर या फाइनेंशियल प्लानर की मदद आपको लेनी चाहिए. इसमें आपके भविष्य के गोल्स को कैसे पूरा करना है, इसका पूरा खाका खींचा जाता है.