सोना सबसे पुराना और भरोसेमंद निवेश है. शादी-ब्याह, त्योहार आदि पर सोने का क्रेज बढ़ जाता है. खासकर महिलाएं सोने को निवेश का सबसे बढ़िया रास्ता मानती हैं. धनतेरस, दिवाली और अक्षय तृतीया जैसे पर्व पर सोने की खरीदारी बढ़ जाती है. सोने में निवेश करने के 3 तरीके हैं. आप गहने या सिक्के खरीद सकते हैं या फिर पेपर गोल्ड और इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड. गहने और सिक्के सोने में निवेश का पारंपरिक तरीका है जबकि पेपर गोल्ड और इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड नया है.
धनतेरस जैसे त्योहार नजदीक हैं. इस साल अच्छी बिक्री की उम्मीद की जा रही है क्योंकि पिछले 2 साल की तरह इस बार कोई पाबंदी नहीं है. फिलहाल दाम भी कम हैं, जो ‘सोने पर सुहागा’ है. इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के मुताबिक, 11 अक्टूबर को 24 कैरेट सोने का दाम 50,771 रुपए प्रति दस ग्राम था, जबकि 22 कैरेट गोल्ड का भाव 50,568 रुपए प्रति दस ग्राम था. यह कई महीनों में सबसे कम है. साल 2021 का धनतेरस सोने के लिए अच्छा रहा और 50 टन सोने की बिक्री हुई, जो साल 2020 की तुलना में करीब 20 टन अधिक था. इस बार यह आंकड़ा और बढ़ सकता है. चलिए अब जानते हैं कि सोने पर टैक्स कैसे लगता है?
निमित कंसल्टेंसी के फाउंडर CA नितेश बुद्धदेव बताते हैं कि सोने में निवेश को फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड और पेपर गोल्ड में बांटा गया है. फिजिकल गोल्ड जैसे गहने या सिक्के पर टैक्सेशन होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करता है. अगर सोने के गहने खरीदने के 3 साल के भीतर बेचे जाते हैं तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा.
यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन आपकी टोटल टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाएगा और टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. हालांकि, इसे 3 साल बाद बेचने पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी टैक्स लगेगा. डिजिटल गोल्ड पर भी फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगता है. इसे 3 साल के भीतर बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और 3 साल बाद बेचने पर इंडेक्सेशन के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा.
मान लीजिए, 2019 में आपने 1000 रुपए प्रति ग्राम के भाव पर सोना लिया और 2022 में उसे 1,500 रुपए के भाव पर बेचा. इस लिहाज से 500 रुपए का फायदा हुआ लेकिन कैपिटल गेन कैलकुलेट करते हुए इसे टैक्सेबल नहीं माना जाएगा. अब अगर इंडेक्सेशन की बात करें यानी इन 3 सालों के दौरान महंगाई के कारण रुपये की क्रय शक्ति में आई गिरावट को देखें तो मौजूदा महंगाई दर के हिसाब से 1500 रुपये की क्रय शक्ति करीब 1200 रुपये रह जाएगी.
इसका मतलब हुआ कि आपका वास्तविक कैपिटल गेन 500 रुपये नहीं बल्कि महज 200 रुपये है और आपको इसी पर टैक्स देना होगा. पेपर गोल्ड में गोल्ड ETF, गोल्ड म्यूचुअल फंड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) आते हैं. गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स बनता है. हालांकि, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लेकर टैक्स के नियम अलग हैं.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज मिलता है जो निवेशक की टैक्सेबल इनकम में जुड़ता है और स्लैब के अनुसार कर लगता है. गोल्ड बॉन्ड का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल होता है अगर इसे मैच्योर होने पर बेचते हैं तो कोई टैक्स नहीं लगेगा. निवेशक गोल्ड बॉन्ड को 5 साल बाद प्री-मैच्योर रिडीम करा सकते हैं. अगर 5 से 8 साल के बीच बॉन्ड को बेचते हैं तो मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. इस पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20 फीसदी टैक्स लगेगा. बुद्धदेव बताते हैं कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदा-बेचा भी जा सकता है.
ऐसे में मान लीजिए, अगर कोई व्यक्ति साल 2020 में बॉन्ड खरीदता है और उसे 2022 में बेच देता है तो यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के दायरे में आएगा और उसे टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा. वहीं खरीदार 2028 में मैच्योरिटी पर इसे रिडीम कराता है तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा.