देश से इन चीजों का खूब हो रहा निर्यात, जानिए विदेशों में कौन से सामानों की बढ़ी डिमांड

Export: हाल ही में कटहल, लीची जैसी फसलों का निर्यात होने के बाद आम की कई किस्मों का निर्यात किया गया है.

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व्यवसायी भी ये मान रहे हैं कि कुछ और महीनों तक इस समस्या के हल होने की कोई संभावना नहीं है

व्यवसायी भी ये मान रहे हैं कि कुछ और महीनों तक इस समस्या के हल होने की कोई संभावना नहीं है

कृषि के क्षेत्र में देश नित्य नए कीर्तिमान बना रहा है. अनाज से लेकर फल सब्जी का देश के दूरदराज हिस्सों में भेजने के साथ ही दूसरे देशों में भी निर्यात लगातार बढ़ रहा है. पिछली ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने बिहार की लीची और असम के कहटल की खूबियों का जिक्र किया था, और बताया था कि कैसे किसान इनका उत्पादन और बिक्री कर एक सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर रहे हैं. किसानी जीवन के इन्हीं बदलते अध्यायों में एक नया पाठ जुड़ा है. देश के पूर्वोत्तर राज्य असम में होने वाला ‘लैटिको’ अंगूर दुबई भेजा गया है.

हवाई रास्ते से किया गया निर्यात

पूर्वोत्तर राज्यों से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की निर्यात क्षमता में सुधार के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए, यह निर्यात किया गया. ताजा बर्मी अंगूर की एक शिपमेंट गुवाहाटी से हवाई मार्ग से दुबई को निर्यात की गई है. यह खेप असम के दरंग जिले के एक संग्रह केंद्र में पैक की गई. एपीडा पंजीकृत किगा एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से खेप को गुवाहाटी हवाई अड्डे से दिल्ली होते हुए दुबई भेजा गया है. आपको बता दें, बर्मी अंगूर को असमिया भाषा में ‘लैटिको’ के रूप में जाना जाता है. लैटिको विटामिन सी और आयरन से भरपूर होता है.

एपीडा के प्रयास

एपीडा, पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात मानचित्र पर लाने के लिए अनेक प्रयास कर रहा है. हाल ही में, एपीडा ने असम से संयुक्त राज्य अमेरिका को ‘लाल चावल’ की पहली खेप का निर्यात करने में मदद की। आयरन से भरपूर ‘लाल चावल’ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में बिना किसी रासायनिक खाद के उगाए जाते हैं. चावल की किस्म को ‘बाओ-धान’ कहा जाता है, जो असमिया भोजन का एक अभिन्न अंग है.

लंदन को भी किया गया निर्यात

एपीडा ने लंदन को भौगोलिक संकेतक (जीआई) प्रमाणित काजी निमो (असम नींबू) के निर्यात में सहायता की है. अब तक लगभग 40 मीट्रिक टन असम नींबू का निर्यात किया जा चुका है. त्रिपुरा स्थित कृषि संयोग एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से प्राप्त कटहल को लंदन में निर्यात किया गया था. कनसाइनमेंट को सॉल्ट रेंज सप्लाई चेन सॉल्यूशन लिमिटेड की एपीडा सहायता प्राप्त पैक-हाउस सुविधा में पैक किया गया था और कीगा एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्यात किया गया था.

एपीडा ने पैक हाउस स्थापना में किया सहयोग

एपीडा ने गुवाहाटी में एक पैक हाउस स्थापित करने के लिए निजी क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिसने यूरोप को ताजे फल और सब्जियों के निर्यात के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं को विकसित किया है.

एपीडा कर रहा है कई अन्य तरह से सहयोग

एपीडा खाद्य उत्पादों के निर्यात के लिए जरूरी मार्केटिंग रणनीतियों को विकसित करने, उसके बारे में जानकारी के साथ फैसले लेने के लिए बाजार की जानकारी, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कारोबार का प्रदर्शन, कौशल विकास, क्षमता निर्माण और उच्च गुणवत्ता वाली पैकेजिंग के लिए बाजार में कई सहयोगात्मक गतिविधियां चलाता है.

एपीडा क्षमता निर्माण, गुणवत्ता नवीनीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में पूर्वोत्तर क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इस तरह से किसानों को खरीदारों से जोड़ना और पूर्वोत्तर से कृषि उत्पादों की पूरी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना लाभदायक होगा.

इससे पहले इन चीजों का भी हुआ निर्यात

बागवानी फसलों के जरिए किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार प्रयासरत है, हाल ही में कटहल, लीची जैसी फसलों का निर्यात होने के बाद आम की कई किस्मों का निर्यात किया गया है. गिर का प्रसिद्ध केसर आम का स्वाद गुजरात और भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में पहले भी चखा जा चुका है. कोरोना महामारी के बावजूद दुनिया में केसर आम के प्रति आकर्षण कम नहीं हुआ. इस साल इटली समेत यूरोपीय देशों को 100 टन केसर आम का निर्यात होने की उम्मीद है. आपको बता दें, हाल ही में तलाला-गिर से 14 टन केसर आम का इटली को निर्यात किया गया है.

(PBNS)

Published - June 29, 2021, 06:32 IST