महंगे कर्ज का असर शेयर बाजार पर दिखने लगा
शेयर बाजार की गिरावट में विदेशी निवेशक भी साथ छोड़ रहे हैं. क्योंकि कर्ज महंगा होने से पूंजी उनके यहां भी महंगी हो रही है.
महंगाई को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज महंगा कर दिया. कर्ज केवल भारत में ही महंगा नहीं हुआ बल्कि अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनियाभर में महंगाई काबू करने के लिए यह नुस्खा अपनाया जा रहा. महंगाई अब ग्लोबल चिंता है. खैर बाजार से नकदी सोखने का महंगाई पर कितना असर होगा यह तो आने वाले महीनों में पता चलेगा. लेकिन महंगे कर्ज का तत्काल असर शेयर बाजार पर दिखने लगा है.
जिस हफ्ते में RBI ने ब्याज दरें बढ़ाई वह शेयर बाजार में गिरावट के लिहाज से नवंबर के बाद सबसे खराब हफ्ता रहा. सेंसेक्स निफ्टी में 4 फीसद से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. यह गिरावट पहले से भी जारी थी.
बीते एक महीने में निफ्टी-सेंसेक्स 12 फीसद तक टूट चुके हैं. निफ्टी फिलहाल 16200 के करीब कारोबार कर रहा है, जो 200 DMA यानी डेली मूविंग एवरेज 16850 के काफी नीचे है. यह दर्शाता है कि शेयर बाजार पर अब मंदडिए हावी हो रहे हैं. निफ्टी के 75 फीसद स्टॉक्स भी अपने 200 DMA के नीचे कारोबार कर रहे हैं.
यह गिरावट केवल निफ्टी तक ही सीमित नहीं है. बीते एक महीने में बैंक निफ्टी, मिडकैप और स्मॉलकैप जैसे इंडेक्स में भी बिकवाली हावी है. मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स बीते एक महीने में करीब 8 फीसद टूट चुके हैं. वहीं बैंक निफ्टी 12 फीसद तक टूट चुका है. बैंक निफ्टी में शुमार स्टॉक्स अपने 2021 के उच्चतम स्तर से 24 से 88 फीसद तक टूट चुके हैं.
दरअसल बैंकिंग, एनबीएफसी, ऑटो, रियल्टी जैसे रेट सेंसेटिव स्टॉक्स का मूड ब्याज दरों की अचानक और तीखी बढ़ोतरी ने बिगाड़ा. बाजार ब्याज दरों में बढ़ोतरी का अनुमान लगाए तो बैठा था लेकिन यह अचानक और इतनी तीखी होगी इसकी उम्मीद नहीं थी. ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ नयती कहते हैं.. इस तरह अचानक ब्याज दरें बढ़ने से छोटी अवधि में बैंकिंग, एनबीएफसी, ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर्स पर खराब असर पड़ेगा. वे आगे यह भी कहते हैं कि महंगाई का मौजूदा दौर कमजोर सप्लाई का नतीजा है न कि डिमांड बढ़ने से महंगाई बढ़ी है. ऐसे में रिजर्व बैंक का यह कदम बहुत कारगर होना मुश्किल है.
शेयर बाजार की गिरावट में विदेशी निवेशक भी साथ छोड़ रहे हैं. क्योंकि कर्ज महंगा होने से पूंजी उनके यहां भी महंगी हो रही है. अप्रैल के दौरान FPIs ने कुल 17144 करोड़ रुपए की बिकवाली की. मई के पहले 4 कारोबारी दिन में ही विदेशी निवेशक 6417 करोड़ रुपए के शेयर बेच चुके हैं. वहीं DIIs की बात करें तो यहां बीते 14 महीनों से खरीदारी लगातार जारी है. अप्रैल में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने कुल 29869 करोड़ रुपए की खरीदारी की है. मई के पहले चार कारोबारी सत्र में भी DIIs 8533 करोड़ की खरीदारी कर चुके हैं. हालांकि DIIs की खरीदारी भी अब बाजार को ऊपरी स्तर पर रोकने में नाकाम नजर आ रही है.
बाजार की भाषा में निफ्टी सेंसेक्स अब ओवरसोल्ड जोन में है. यानी बाजार में बिकवाली एक सीमा से ज्यादा हो चुकी है. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि बाजार में गिरावट बढ़ी तो अच्छे वैल्युएशन के चक्कर में विदेशी निवेशकों की वापसी हो सकती है जियोजित फाइनेंशियल सर्विस के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का मानना है कि निफ्टी में और 5 फीसद गिरावट आने पर. विदेशी निवेशक बिकवाल से खरीदार बन जाएंगे. हालांकि उनका यह भी कहना है. महंगे कर्ज, चीन में लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध से शेयर बाजार में बहुत तेज रिकवरी की उम्मीद नहीं है.
ट्रेडर्स फिलहाल छोटी अवधि में हर तेजी में बेचने की सलाह दे रहे हैं. यह सलाह निफ्टी के 200 DMA से ऊपर निकलने तक बनी रहने का अनुमान है.
फिर क्या करें निवेशक?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विस के रिसर्च हेड विनोद नायर कहते हैं मौजूदा हालात में निवेशकों को उन सेक्टर्स पर दांव लगाना चाहिए जिनपर महंगाई, ब्याज दर और बॉन्ड यील्ड का ज्यादा असर नहीं पड़ता हो. ऐसे सेक्टर्स में आईटी, फार्मा और ग्रीन एनर्जी शामिल हो सकते हैं.