
Tele-Law: जिस तरह से अन्याय एक समाज के बिखराव का कारण होता है, तो वहीं न्याय एक सशक्त राष्ट्र का आधार होता है. ऐसा समाज जहां संसाधन सीमित होने के अलावा असमान बंटे हुए हो, अन्याय की संभावना को और भी बढ़ा देते हैं. खासतौर से उस समुदाय के लिए जो कमजोर व अशिक्षित है और जिसे लगता है कि देश के लिए उसका कोई महत्व ही नहीं है. ऐसे में एक मजबूत राष्ट्र की संकल्पना नहीं की जा सकती. एक मजबूत राष्ट्र की आकांक्षी सरकार के लिए हर तबके को मुख्यधारा से जोड़ना पहला कर्तव्य है, और इसी उद्देश्य को पूरा करती भारत सरकार की एक स्कीम है ‘टेली-लॉ’ (Tele-Law) सेवा.
क्या है टेली-लॉ सेवा ?
दरअसल, टेली-लॉ (Tele-Law) सरकार की एक ऐसी योजना है, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर तबके तक न्याय सुनिश्चित कराना है. इसके माध्यम से ऐसे किसी भी जरूरत मंद को सरकार द्वारा कानूनी सलाह और मशविरा उपलब्ध कराया जाता है. इसके लिए टेली-लॉ , टेलीफोन अथवा विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा वकील की मदद भी मुहैया कराई जाती है. अशिक्षित और गरीब, जिनके लिए कानूनी दांव-पेंच डर और शोषण का दूसरा नाम होते हैं, उनके डर को दूर करने और शोषण मुक्त समाज की स्थापना करना इस योजना का मुख्य ध्येय है. इस सेवा का लाभ ‘कॉमन सर्विस सेंटर’ जो ग्राम पंचायत स्तर पर होते हैं, के माध्यम से उठाया जा सकता है.
कब हुई टेली-लॉ सेवा की शुरुआत और क्या हैं इसके फायदे ?
टेली लॉ स्कीम की शुरुआत साल 2017 में हुई थी. शुरुआत में यह सेवा देश के 11 राज्यों में लागू हुई, जिनमें 1800 कॉमन सर्विस सेंटर बनाए गए. इनमें बिहार (500), उत्तर प्रदेश (500), जम्मू-कश्मीर (800) और 8 उत्तर-पूर्वी राज्यों को शामिल किया गया. आज वर्तमान में टेली-लॉ सेवा देश के 28 राज्यों के 115 आकांक्षी जिलों में 28060 कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रही है.
बताना चाहेंगे, ये आकांक्षी जिले देशभर के वह जिले हैं, जहां लोगों को कानून संबंधित मदद की आवश्यकता अत्यधिक है. पायलट प्रोजेक्ट को मिली प्रतिक्रिया के आधार पर इस स्कीम को इन जिलों में बढ़ाया गया है. हालांकि सरकार की नीयत इस सेवा को पूरे देश में लागू करने की है. तब ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे में अगर ‘सबका न्याय’ भी जोड़ दें, तो ज्यादा उचित होगा.
‘टेली-लॉ’ सेवा का लाभ देश की 22 भाषाओं में उपलब्ध
बिना अपना कीमती समय और पैसा गवाएं कोई भी व्यक्ति जिसे कानूनी सलाह की जरूरत हो, इस सेवा का लाभ ले सकता है. लीगल सर्विस अथॉरिटी एक्ट 1987 के सेक्शन 12 के तहत जो भी व्यक्ति मुफ्त कानूनी सलाह के उपयुक्त हैं, उनके लिए यह सेवा निशुल्क (फ्री ) है. अन्य सभी के लिए नाममात्र की फीस 30 रुपये रखी गई है. टेली-लॉ सेवा का लाभ देश की 22 भाषाओं में उपलब्ध है. टेली-लॉ वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2021 तक कुल 7 लाख 38 हजार 515 केस दर्ज हुए हैं, जिनमें से 7 लाख 22 हजार 280 मामलों में कानूनी मदद की गई है.
क्या है मदद लेने की प्रक्रिया ?
केस दर्ज करने से पहले पैरा-लीगल वालंटियर (PLV) आवेदनकर्ता से मिलते हैं और उन्हें एक निश्चित तारीख व समय देते हैं. इसके बाद उस तारीख व समय पर आवेदनकर्ता कॉमन सर्विस सेंटर पहुंचते हैं, जहां उन्हें पैनल के वकील द्वारा कानूनी सलाह दी जाती है. इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है.
क्या है कॉमन सर्विस सेंटर ?
कॉमन सर्विस सेंटर उन दुकानों/ कियोस्क को कहते हैं जो गांव या दूरदराज के इलाके में विभिन्न ऑनलाइन सरकारी योजनाओं/सेवाओं को लोगों तक पहुंचाते हैं. कॉमन सर्विस सेंटर, सूचना एवं तकनीकी मंत्रालय के द्वारा डिजिटल इंडिया अभियान के तहत एक मिशन प्रोजेक्ट है. कॉमन सर्विस सेंटर ग्राम पंचायत स्तर पर स्थापित किए गए हैं. देशभर में ऐसे लगभग 3.19 लाख कॉमन सर्विस सेंटर हैं.
किस तरह के मामलों में मदद ले सकते हैं ?
टेली-लॉ सेवा के द्वारा आप हर तरह के कानूनी मामलों में मदद ले सकते हैं। मुख्य बिन्दु निम्नानुसार हैं –
– दहेज, पारिवारिक विवाद, तलाक और घरेलू हिंसा के मामले में
– कार्यस्थल या किसी भी अन्य जगह यौन हिंसा
– महिलाओं, बच्चे और बुजुर्गों के भरण-पोषण से संबंधित मामले
– संपत्ति और जमीन के अधिकार संबंधित मामले
– महिला/पुरुष के बराबर वेतन का मामला
– बाल मजदूरी, बाल विवाह के खिलाफ मामले
– एफआईआर दर्ज करने संबंधी मामले
– एससी/एसटी पर अत्याचार संबंधित मामले
इस प्रक्रिया के दौरान आवेदनकर्ता के द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत सूचना पूरी तरीके से गुप्त रखी जाती है.