Tata Motors: इलेक्ट्रिक व्हीकल बिजनेस में आ रही तेजी को भांपते हुए टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने बड़ा फैसला किया है. कंपनी जल्द ही इस क्षेत्र के लिए 7500 करोड़ (1 अरब डॉलर) जुटाने की कोशिशों में लग गई है. इसके लिए बल्ज ब्रैकेट बाय आउट फंड से बातचीत शुरू हो चुकी है. इसका कारोबार तकरीबन 7 बिलियन डॉलर का है. टाटा मोटर्स से जुड़े दो लोगों ने इसकी जानकारी दी.
हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक टाटा मोटर्स को अपने शेयरधारकों से पैसेंजर व्हीकल बिजनेस को अलग करने की अनुमति मार्च में मिल चुकी है.
अब टाटा मोटर्स अपने ईवी पोर्टफोलियो को एक स्टेप डाउन आर्म में तब्दील करने की प्रक्रिया में हैं. इसी में नया निवेश बढ़ाया जाएगा.
“इस मामले में बातचीत शुरुआती चरणों में हैं. इसके लिए ब्लैकस्टोन ग्रुप, टीपीजी कैपिटल और केकेआर कंपनी जैसी कई ग्लोबल पीई फर्मों से चर्चा की जा रही है.”
कंपनी से जुड़े लोगों न नाम न छापने की शर्त पर ये जानकारी साझा की है. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द टाटा मोटर्स इस संबंध में एक नया सलाहकार भी नियुक्त कर सकती है. और ग्लोबल बैंकों के साथ बातचीत भी शुरू कर चुकी है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक निवेशकों के दबाव और पर्यावरण के लिए बेहतर और टिकाऊ कारोबार के इस विकल्प को देखते हुए टाटा मोटर्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर ज्यादा ध्यान दे रही है.
टाटा मोटर्स के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने जून में कंपनी की 76 ऐनुअल जनरल मीटिंग में ईवी यूनिट के लिए फंडिंग योजना की घोषणा की थी, जहां उन्होंने 2025 तक 10 ईवी मॉडल लॉन्च करने की योजना की भी घोषणा की थी.
न सिर्फ ईवी डिवीजन बल्कि इसके साथ पूरे पैसेंजर व्हीकल (पीवी) बिजनेस को टाटा मोटर्स एक नए आयाम पर ले जाने की कोशिश में है. इसका कारोबार 9,417 करोड़ का माना जा रहा है.
रेटिंग फर्म क्रिसिल के मुताबिक डोमेस्टिक पैसेंजर व्हीकल बिजनेस अब तक ज्यादा पूंजीगत व्यय और कम मांग के चलते हमेशा दबाव की तरह रहा है. पर अब टियागो, नेक्सॉन और हैरियर जैसे मॉडल्स की बदौलत कारोबार का रुख बदल रहा है.
बीते दिसंबर 2020 से इस साल के शुरूआती नौ माह के आंकड़े देखे जाएं तो पीवी की बिक्री 33 प्रतिशत तक बढ़ी नजर आती है.
कंपनी सूत्र ईवी कारोबार में ज्यादा निवेश का दावा कर रहे हैं. हालांकि टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने इस संबंध में कोई भी जानकारी देने या टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
उनके अलावा ब्लैकस्टोन, टीपीजी और केकेआर के प्रवक्ताओं ने भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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