No plan to extend free ration, free ration scheme, NFSA, National food security act
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एक देश- एक राशन कार्ड (One Nation, One Ration Card) व्यवस्था को लागू करने को कहा. क्योंकि इससे प्रवासी श्रमिकों को उन राज्यों में भी राशन लेने की सुविधा मिल सकेगी जहां वे काम करते हैं और जहां उनका राशन कार्ड पंजीकृत नहीं है.
शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करने के लिये असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के पंजीकरण के लिये सॉफ्टवेयर विकास में देरी पर कड़ा रुख भी जताया. न्यायालय ने केंद्र से पूछा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत इस साल नवंबर तक उन प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त खाद्यान्न कैसे मिलेगा, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है.
न्यायाधीश अशोक भूषण और न्यायाधीश एम आर शाह की अवकाशकालीन पीठ ने कार्यकर्ताओं अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप चोकर… के ताजा आवेदनों पर फैसला सुरक्षित रख लिया.
इन आवेदनों में प्रवासी श्रमिकों के लिये खाद्य सुरक्षा, नकद अंतरण, परिवहन सुविधाएं और अन्य कल्याणकारी उपायों को जमीन पर लागू करने के लिये केंद्र और राज्यों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है. इसमें कहा गया है कि श्रमिकों को इन चीजों की सख्त जरूरत है क्योंकि इस बार संकट कहीं ज्यादा गंभीर है.
पीठ ने केंद्र, याचिकाकर्ताओं और राज्यों से इस मामले में लिखित में अपनी बातें रखने को कहा.
कोविड-19 मामलों के फिर से बढ़ने के बीच देश में लगाई गई पाबंदियों के कारण प्रवासी श्रमिकों को होने वाली समस्याओं के मुद्दे पर 2020 के लंबित स्वत: संज्ञान मामले में ये आवेदन दायर किये गये थे.
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्यों ने अब तक एक देश, एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना लागू नहीं की है.
हालांकि, दिल्ली के वकील ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि इसे लागू कर दिया गया है.
पश्चिम बंगाल के वकील ने कहा कि आधार को जोड़े जाने को लेकर कुछ मुद्दे थे, इस पर पीठ ने तुरंत कहा, “आपको इसे लागू करना चाहिए. यह उन प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए है जिन्हें इसके जरिये हर राज्य में राशन मिल सकता है.’’
पीठ ने कहा कि वह इस बात से चिंतित है कि जिन प्रवासी श्रमिकों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ कैसे उठा पाएंगे.
न्यायालय ने केंद्र की ओर पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा, ‘‘असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों के पंजीकरण के बारे में क्या स्थिति है. एक सॉफ्टवेयर के विकास में इतना समय क्यों लग रहा है? आपने इसे शायद पिछले साल अगस्त में शुरू किया था और यह अभी भी खत्म नहीं हुआ है.’’
पीठ ने केंद्र से पूछा कि उसे श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटा तैयार करने वाले साफ्टवेयर को बनाने के लिये और महीनों की आवश्यकता क्यों है.
न्यायालय ने कहा, ‘‘आपको अभी भी तीन-चार महीने की आवश्यकता क्यों है. आप कोई सर्वेक्षण नहीं कर रहे हैं … आप केवल एक मॉड्यूल बना रहे हैं…. ताकि उसमें डेटा डाले जा सकें.’’
यह जो भी प्रणाली तैयार की जा रही है वह मजबूत होगी और इससे प्रशासन को योजना की निगरानी और निरीक्षण में मदद मिलेगी. ‘‘इसमें इतने महीने क्यों लग रहे हैं, आप राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिये एक साफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं.’’
कार्यकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन सभी तक पहुंचाया जाना चाहिए जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं क्योंकि इस साल समस्या ज्यादा गंभीर है.
इसके जवाब में सोलिसिटर जनरल ने कहा कि प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना का लाभ इस साल नवंबर तक बढ़ा दिया गया है. इसके तहत ऐसे परिवारों के प्रत्येक सदस्यों को पांच किलो खाद्यान्न हर महीने निशुल्क दिया जायेगा. इसके अलावा राज्यों द्वारा भी अन्य कल्याणकारी योजनाओं को अमल में लाया जा रहा है.