भारत के रुख पर टिकी है WTO बैठक की सफलता

गोयल की अगुआई में WTO की बैठकों में भारत का रुख खासा आक्रामक रहता है.

भारत के रुख पर टिकी है WTO बैठक की सफलता

164 देशों के संगठन WTO की बैठक का सफलता का दारोमदार भारत के रुख पर है या यूं कहें कि भारत के वाण‍िज्‍य मंत्री पीयूष गोयल पर है. उनको लेकर उत्‍सुकता का हाल यह है कि वार्ताओं के पहले दो दिन भारत के अबूधाबी में गोयल की अनुपस्‍थ‍िति कयासों का विषय बन गई. संगठन की महासच‍िव से ओकोंजो इवेला से पूछ ही लिया गया कि भारतीय पक्ष आबुधाबी में क्‍यों नहीं दिख रहा है. महासचिव ने कहा कि पीयूष गोयल मंगलवार से वार्ताओं का हिस्‍सा बनेंगे.

पीयूष गोयल को लेकर डील मेकर बनाम डील ब्रेकर की चर्चा छिड़ गई है. डील मेकर वाला मुहावरा WTO की पिछली बैठक से निकला था जो जून 2022 में जेनेवा में हुई थी. भारत ने इस बैठक में तगड़ी पेशबंदी की थी. मुद्दा मछली पकडने के उद्योग को सब्‍स‍िडी का था. भारत विकासशील देशों के लिए राहत मांग रहा था. वार्तायें पटरी से उतर गईं थी अंति‍म मौके पर भारत की बात मान ली गई. समझौते की शर्तें नरम हुई. असफलता की तरफ बढती बैठक अचानक सफल होकर सामने आई. वाण‍िज्‍य मंत्री पीयूष गोयल ने उस वक्‍त कहा था कि भारत को लोग डील ब्रेकर बता रहे थे लेक‍िन भारत ही डील मेकर साबित हुआ है.

गोयल की अगुआई में WTO की बैठकों में भारत का रुख खासा आक्रामक रहता है. इस बार गोयल चीन, अमेरिका और यूरोपीय समुदाय की नई पेशबंदी से मुकाबि‍ल होंगे. WTO पर दबाव है कि यदि सभी सदस्‍य राजी नहीं है तो भी चुन‍िंदा देशों के बीच सहमति को मान्‍यता दी जाए. यह भारत को अलग थलग करने की कोश‍िश लगी है. जबकि भारत चाहता है कि दुनिया के देशों को WTO के नियमों को न मानने की छूट भी दी जाए. पीयूष गोयल को अबूधाबी में विकासशील देशों के लिए रियायतें भी हास‍िल करनी हैं और दिग्‍गज बाजारों से भारत के व्‍यापारिक र‍िश्‍तों में भी गर्मजोशी बनाकर रखनी है

Published - February 27, 2024, 10:41 IST