कोरोना संकट में गुजरात सरकार को राहत मिली है. गुजरात की सरकारी और जीएमईआरएस अस्पतालों में काम करने वाले इंटर्न और रेसिडेंट डॉक्टर्स ने उनकी मांगे नहीं मानने पर हड़ताल पर जाने की धमकी दी थी. अब राज्य सरकार ने डॉक्टरों की 40 प्रतिशत स्टाइपेंड (Stipend) बढाने की मांग को स्वीकार कर लिया है. बीते माह 1 अप्रैल से उनको ये लाभ मिलेगा. राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया. डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने कहा कि राज्य सरकार ने इस साल स्टाइपेंड (Stipend) बढ़ाने के लिए जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन की मांग को उसी तरह से स्वीकार कर लिया है, जैसे कि रेसिडेंट डॉक्टरों को हर तीन साल में उनके स्टाइपेंड में वृद्धि दी जाती है.
इस निर्णय से सरकारी मेडिकल कॉलेजों के 5767 और जीएमईआरएस GMERS मेडिकल कॉलेजों के 634 सहित कुल 6401 रेसिडंट डॉक्टरों को इस स्टाइपंड का अतिरिक्त लाभ मिलेगा. यह 40 प्रतिशत स्टाइपेंड वृद्धि राज्य के खजाने पर 100 करोड़ रुपए का वार्षिक बोझ डालेगी. गवर्नमेंट डेंटल, होम्योपैथी, आयुर्वेदिक, फिजियोथैरेपी कॉलेजों के ग्रेजुएट इंटर्न, डिग्री-डिप्लोमा ऑफ पोस्टग्रेजुएट कोर्स सुपर स्पेशियलिटी रेजिडेंट फिजिशियन को यह स्टाइपेंड मिलेगा.
मेडिकल इंटर्न को 18,200 रुपए , डेंटल इंटर्न को 16,800 रुपए , फिजियो इंटर्न को 11,200 रुपए , मेडिकल रेजिडेंट्स डिग्री धारकों को प्रथम वर्ष में 84,000 रुपए , दूसरे वर्ष में 85,000 रुपए, तीसरे वर्ष में 87,500 रुपए , चोथे वर्ष में 92,400 रुपए , क्लिनिकल आसिस्टंट को 92,400 रुपए , मेडिकल रेजिडेंट सुपरस्पेशलिटी में प्रथम वर्ष में 1,00,800 रुपए , दूसरे वर्ष में 1,05,000 रुपए , तीसरे वर्ष में 1,12,000 रुपए का स्टाइपेंड मिलेगा. राज्य में इंटर्न रेसिडेंट डॉक्टरो को उनके स्टाइपेंड में हर तीन साल में वृद्धि की जाती है. इस हिसाब से सितंबर 2018 में 10,800 रुपए मासिक स्टाइपेंड मिलता था, जो अब बढकर 13,000 रुपए कर दिया गया था. अब उसमें 40 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की गई है. जिसके कारण मासिक स्टाइपेंड में अब 5,200 रुपए की वृद्धि हुई है और कुल स्टाइपेंड वृद्धि के साथ 18,200 रुपए हो गया है.