ESOP: फोनपे (PhonePe) ने 1,500 करोड़ रुपये के ESOP का ऐलान किया है. ESOP (Employee Stock Ownership Plan) यानि कंपनी के शेयरों में कर्मचारियों को भी हिस्सेदार बनाना. फोनपे अपने सभी 2200 कर्मचारियों में ये शेयर बांटेगा जिससे उनका वेल्थ भी कंपनी की ग्रोथ के साथ बढ़ें और उनकी हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ती रहे. इस कदम को मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के चेयरमैन और इंफोसिस के पूर्व CFO और CHRO टी वी मोहनदास पई (TV Mohandas Pai) ने सराहा है. यहां पढ़ें उन्होंने भारत के स्टार्टअप्स में इस कल्चर पर क्या कहा:
ESOP से कंपनियों में कर्मचारियों की भागेदारी बढ़ेगी?
कंपनियों की कोशिश होती है कि कंपनी के हित के साथ ही कर्मचारियों के हितों का भी ख्याल रखा जाए. अच्छे कर्मचारियों का कंपनी के साथ जुड़ाव बना रहे और वे लंबे समय तक कंपनी का साथ निभाएं इसके लिए जरूरी है कि ऐसे कर्मचारियों को लगे कि उनकी जरूरत है और उन्हें इसके लिए अच्छे रिवॉर्ड भी हासिल हों. अगर उनके प्रदर्शन से कंपनी और बेहतर करती है तो उन्हें भी इस ग्रोथ का रिवॉर्ड मिलना चाहिए. जो कंपनियां लिस्टेड हैं या लिस्ट होने वाली हैं वे ESOP के जरिए कंपनी के प्रदर्शन के साथ इस रिवॉर्ड को जोड़ सकते हैं. इससे इन्सेंटिव देना भी आसान होगा. स्टार्टअप्स में कर्मचारी भी जोखिम साझा करते हैं.
सिर्फ कुछ ही सेक्टर्स में ESOP इन्सेंटिव क्यों?
ESOP देना है या नहीं ये मैनेजमेंट पर निर्भर करता है. भारत में अभी भी कई बिजनेस रूढीवादी सोच के हैं और कर्मचारियों को नौकर की नजर से देखते हैं. सॉफ्टवेयर कंपनियों और IT सेक्टर में कर्मचारियों की वैल्यू है, वे उनकी भी ग्रोथ चाहते हैं और वेल्थ साझा करने में रुचि दिखाते हैं. सिलिकॉन वैली में ESOP का कल्चर है. ESOP से लोगों में भी आंत्रप्रेन्योरशिप की सोच बनती है. ये जरूरी है स्टार्टअप्स अपने कंपंसेशन में ESOP देना शुरू करें.
ESOP बांटते वक्त क्या हो बेस्ट प्रैक्टिस?
नए कर्मचारियों को शेयर डिस्काउंट भाव पर मिलना चाहिए ताकि उन्हें वैल्यू मिले. वहीं स्टॉक ऑप्शन में लिक्विडिटी हो यानि उसे बेचने की भी सुविधा हो ताकि ये पैसा सिर्फ पेपर पर ना रहे. कंपनी की वैल्यू ग्रोथ होगी तभी शेयरों की भी वैल्यू होगी इसलिए ग्रोथ बरकरार रखना जरूरी है.
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