16 जनवरी, 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई स्टार्टअप (Startups) इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है. इस योजना का उद्देश्य स्टार्टअप (Startups) संस्कृति को बढ़ावा देना और भारत में इन्नोवेशन और उद्यमिता के लिए एक मजबूत और समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है. बताना चाहेंगे कि उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार (DPIIT) स्टार्टअप पहल के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करता है. 3 जून, 2021 तक, डीपीआईआईटी द्वारा 50,000 स्टार्टअप (Startups) को मान्यता दी गई है, जिनमें से 19,896 स्टार्टअप को 1 अप्रैल, 2020 के बाद मान्यता मिली है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) गुजरात के को-चेयर सुनील पारेख के अनुसार कोरोना में ऑनलाइन के ट्रेंड ने जोर पकड़ा है, जिसका फायदा टेक स्टार्टअप को हुआ. कोरोना में रुकी फंडिंग सितंबर के बाद दोबारा शुरू हो गई, जिससे उनकी ग्रोथ को बढ़ावा मिला है. छोटी इंडस्ट्रीज या उद्योग-धंधे भी टेक्नोलॉजी को अपना रहे हैं, जिसके चलते टेक-स्टार्टअप का काम और बढ़ सकता है.
स्टार्टअप इंडिया योजना के शुभारंभ के साथ, मान्यता प्राप्त स्टार्टअप का विस्तार अब 623 जिलों तक हो गया हैं. इस समय देश के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में कम से कम एक स्टार्टअप है. देश के 30 से अधिक (राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर) ने स्टार्टअप्स की इस श्रृंखला को समर्थन देने के लिए विशिष्ट स्टार्टअप नीतियों की भी घोषणा की है। इस लिस्ट में महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और गुजरात के स्टार्टअप्स की संख्या सबसे ज्यादा है.
स्टार्टअप्स के मामले में भारत पूरी दुनिया में अग्रणीं देश माना जाता है, और इस बात की सिद्धता इस बात से लगाई जा सकती है कि पिछले 10,000 स्टार्टअप को जोड़ने में केवल 180 दिन लगे हैं. इस योजना के शुरु होने के महज 808 दिनों में ही 10,000 से अधिक स्टार्टअप जुड़ पाए थे. योजना के पहले वर्ष 2016-2017 में कुल 743 स्टार्टअप्स को मान्यता दी गई थी। वहीं वर्ष 2020-2021 में अकेले 16,000 से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता प्राप्त हुई है जो कि भारत में स्टार्टअप की तेजी को दर्शाता है.
इस दौरान सबसे ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण, उत्पाद विकास, एप्लीकेशन डेवलपमेंट, आईटी परामर्श और व्यावसायिक सहायता सेवाओं के क्षेत्र में स्टार्टअप का पंजीकरण हुआ है. अहम बात यह है कि देश में शुरु हुए 45% स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनके नेतृत्व टीम में एक महिला उद्यमी शामिल है. यह प्रवृति ज्यादा से ज्यादा महिला उद्यमियों को अपने आइडिया को स्टार्टअप में परिवर्तित करने के लिए प्रेरित करेगी.
डीपीआईआईटी के जरिए स्टार्टअप इंडिया ने देश की स्टार्टअप अर्थव्यवस्था के लिए पहचाने गए प्रमुख क्षेत्रों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 10,000 करोड़ रुपये के फंड ऑफ फंड्स स्कीम और 945 करोड़ रुपये के स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के जरिए स्टार्टअप्स के लिए पूंजी जुटाने के अवसर बढ़े हैं.
डीपीआईआईटी द्वारा तैयार की गई और उसके द्वारा क्रियान्वित कई कार्यक्रम जैसे राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार, राज्य रैंकिंग फ्रेमवर्क, वैश्विक वीसी शिखर सम्मेलन, प्रारंभ: स्टार्टअप इंडिया अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन ने स्टार्टअप के पारिस्थितिकी तंत्र में कई भागीदारों के साथ जुड़ने, उनके योगदान के लिए मान्यता देने और उस कार्य को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया है.
जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय परिपेक्ष्य में डीपीआईआईटी, पारिस्थितिकी तंत्र में विकास के अवसरों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए हितधारकों के साथ जुड़ना जारी रखेगा, जिससे भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद मिलेगी.
मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स ने देश के रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें प्रति स्टार्टअप औसतन 11 कर्मचारियों के साथ 48,093 स्टार्टअप्स द्वारा 5,49,842 नौकरियों के अवसर पैदा करने की उन्होंने जानकारी दी है. वर्ष 2020-21 की अवधि में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप द्वारा लगभग 1.7 लाख नौकरियां उत्पन्न हुई हैं.