कर्ज संकट में फंसी निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी Go First के दिवालिया प्रक्रिया की राह में अड़चन आ सकती है. विमान लीज पर देने वाली कंपनी SMBC एविएशन कैपिटल ने NCLT के फैसले को उच्च न्यायाधिकरण NCLAT में चुनौती दी है. Go First की दिवालिया होने की अर्जी स्वीकार करने और छह महीने की मोहलियत (moratorium) देने के बाद पट्टेदार कंपनी 45 विमानों को वापस नहीं ले पाएगी.
विमान पट्टेदार SMBC एविएशन कैपिटल लिमिटेड ने बुधवार को एनसीएलटी की ओर से पारित आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी का रुख किया जिसमें गो फर्स्ट की स्वैच्छिक याचिका को दिवाला कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दी गई थी. एसएमबीसी एविएशन कैपिटल दुनिया की सबसे बड़ी विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों में शुमार है. इससे पहले दिन में NCLT की दिल्ली स्थित प्रधान पीठ ने एयरलाइन के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए गो फर्स्ट की स्वैच्छिक याचिका को स्वीकार कर लिया. संकटग्रस्त कंपनी को कर्ज देने वाले बैंक भी दिवाला प्रक्रिया का समर्थन कर रहे हैं.
विमान वापस लेने के लिए दबाव
इससे पूर्व एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गो फर्स्ट को लीज पर जहाज देने वाली कंपनियों ने गो फर्स्ट के विमानों को दूसरी एयरलाइन कंपनियों को देने के लिए बातचीत शुरू कर दी है. इन कंपनियों की सूची में Air India, IndiGo, Akasa के नाम शामिल हैं. इतना ही नहीं NCLT का फैसला आने से पहले Go First को लीज पर विमान देने वाली कंपनियों ने DGCA के पास कंपनी के 9 और विमानों को डी-रजिस्टर करने की याचिका दाखिल की है. इस तरह बीते एक हफ्ते में कंपनी के कुल 45 विमानों को डी-रजिस्टर करने के लिए DGCA के पास अर्जियां दाखिल की गई हैं.
गो फर्स्ट का बेड़ा
गो फर्स्ट के बेड़े में कुल 57 Airbus A320 विमान हैं. इनमें से करीब 90% विमानों में Pratt & Whitney के ही इंजन लगे हैं. इंजन में समस्या की वजह से इनमें से करीब 50 फीसद विमान ग्राउंडेड हो चुके थे. इंजन कंपनी, लीज पर विमान देने वाली कंपनियों और बैंकों सहित गो फर्स्ट की कुल 11463 करोड़ रुपए की देनदारी है.