ReiTs, InVITs में छोटे निवेशकों को मिलेंगे बड़े अधिकार

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने नियम बनाने के लिए जारी किया प्रस्ताव

ReiTs, InVITs में छोटे निवेशकों को मिलेंगे बड़े अधिकार

बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में प्रॉपर्टी के लेनदेन से जुड़े सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए प्रस्ताव रखा है. इसके तहत निवेशकों को बड़ी प्रॉपर्टी में आंशिक हिस्सेदारी की पेशकश की गई है. इस पहल के पीछे सेबी का उद्देश्य छोटे निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करना है. अब सेबी REIT और InVit के यूनिटधारकों को विशेष अधिकार देने पर विचार कर रहा है.

क्या हैं REITs और InVITs?
ये दोनों स्कीम म्यूचुअल फंड की तरह काम करती हैं. जिस तरह म्‍यूचुअल फंड में निवेशकों से पैसा जुटाकर शेयर या बॉन्‍ड में निवेश किया जाता है, उसी तरह रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) भी निवेशकों से पैसा जुटाकर रियल एस्‍टेट में लगाता है. रीट व्‍यावसायिक प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं. इसमें एक आम निवेश इसमें थोड़ी राशि निवेश करके भी प्रॉपर्टी में हिस्‍सेदार बन सकता है. इसमें निवेशकों को उसी अनुपात में यूनिट मिलते हैं जो एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होते हैं. इनकी खरीद-बिक्री शेयरों जैसी होती है. इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) भी म्यूचुअल फंड की तरह हैं. छोटे निवेशक इनमें पैसा लगाकर कमाई कर सकते हैं.

क्या है प्रस्ताव?
सेबी ने अब रीट और इनविट यूनिट होल्डर्स को बोर्ड में अपने प्रतिनिधियों को नॉमिनेट करने का अधिकार का प्रस्ताव किया है. इसके अलावा नियामक ने प्रबंधन कोड लगाने का प्रस्ताव रखा है जिससे संस्थागत निवेशक इसके प्रतिनिधि और शेयरधारकों के साथ पारदर्शिता कायम रहे. इसमें प्रबंधक या निवेश प्रबंधक के बोर्ड में निदेशकों को नामित करने का अधिकार या किसी सदस्य को यूनिट होल्डर काउंसिल में नामांकित करने का अधिकार दिया जा सकता है. इन दोनों ही स्थिति में निवेशक कि न्यूनतम यूनिट होल्डिंग की सीमा 10 फीसद है. दरअसल, सेबी का उद्देश्य समग्र निर्णय लेने की प्रक्रिया में यूनिटधारकों की सहभागिता को बढ़ना है.

जानिए क्या होगा बदलाव
अभी ऐसा कोई नियम नहीं हैं जो यूनिटधारकों को ऐसे विशेष मतदान/नामांकन अधिकार देते हों. लेकिन सेबी के इस प्रस्ताव पर सहमति के बाद यूनिट होल्डर्स को कई बड़े अधिकार मिलेंगे. अगर सेबी इस प्रस्ताव पारित होता है तो इसके तहत कुछ यूनिटधारकों को विशेष अधिकार दिए जाएंगे. सेबी के पूर्व फैकल्टी अनिल उपाध्याय का कहना है कि जब इनविट की बात आती है तो ये बदलाव ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि यहां निवेश की मांग ज्यादा है. निवेशकों के हित में यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण साबित होगा.

तो क्या ख़त्म हो जाएगा ईएलएसएस!

टैक्स व्यवस्था को लेकर लोगों की दुविधा खत्म नहीं हो पा रही है. टैक्सपेयर्स अब तक यह तय नहीं कर पा रहे कि उनके लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था बेहतर है या नई टैक्स व्यवस्था. दरअसल, ओल्ड टैक्स व्यवस्था में टैक्स स्लैब भले ही कम था लेकिन 80सी,बीमा और अन्य टैक्स सेविंग स्कीम्स का फायदा मिलता था. नई टैक्स व्यवस्था में आप इस तरह के कई फायदे से वंचित रह जाएंगे. इसमें सबसे बड़ा फायदा है ईएलएसएस का.

ईएलएसएस की कम होगी लोकप्रियता
अब तक आपको निवेश की सलाह मांगने पर Equity Linked Savings Scheme यानी ईएलएसएस कि सलाह मिलती रही होगी. दरअसल, ईएलएसएस एक टैक्स सेविंग स्कीम है, जिसमें आपको कई लाभ मिलते हैं. इसका सबसे बड़ा लाभ है टैक्स में मिलने वाली छूट जो नई टैक्स व्यवस्था में आपको नहीं मिलेगी. ऐसे में, अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ईएलएसएस में निवेश कम हो जाएगा.आने वाले समय में टैक्स छूट न मिलने के कारण इसकी लोकप्रियता ख़त्म हो सकती है. आइये जानते हैं कैसे ईएलएसएस आपके लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है.

ईएलएसएस में मिलने वाले लाभ
– इसमें मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री होता है, यानी उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है.
– इसमें आपको अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक की छूट मिल जाती है.
– बाकि टैक्स सेविंग स्कीम में लॉक-इन पीरियड कम होता है जबकि इसमें 3 साल का लॉक इन पीरियड होता है.
– इसमें बाकी स्कीम्स के मुकाबले रिटर्न भी ज्यादा मिलता है.

निवेश का क्या है तरीका?
अगर आपका ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट है तो आप आसानी से वहां से निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा आप किसी भी ईएलएसएस फंड के ऑफिस जाकर फॉर्म भर कर निवेश कर सकते हैं.

Published - May 21, 2023, 12:45 IST