यूनिय कैबिनेट ने 15 सितंबर को टेलीकॉम सेक्टर के लिए कई बड़े फैसले लिए थे. AGR बकाया पर चार साल की रियायत के साथ 100 प्रतिशत विदेशी निवेश (foreign direct investment – FDI) जैसी राहत सर्विस प्रोवाइडर्स को दी गई हैं. इनके बीच एक घोषणा और हुई थी, जिसपर लोगों का ध्यान उस वक्त नहीं जा सका. वह थी सिम कार्ड खरीदने पर KYC के कॉन्टैक्टलेस वेरिफिकेशन (SIM card e-KYC) की.
सिम कार्ड खरीदने के लिए ग्राहकों को पहचान का प्रमाण कराने के लिए अब तक रिटेल स्टोर या सर्विस प्रोवाइडर के किसी पॉइंट-ऑफ-सेल पर जाकर आधार कार्ड जैसे दस्तावेज दिखाने होते थे. Know Your Customer (KYC) की प्रक्रिया के तहत पहचान और पते की जांच होने के बाद ही सिम कार्ड दिया जाता था. चाहे नया मोबाइल लेना हो या प्रीपेड को पोस्टपेड में बदलवाना हो, दोनों के लिए ऐसे ही प्रक्रिया होती थी.
कैबिनेट के ऐलान के बाद डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) ने वेरिफिकेशन प्रोसेस आसान बनाने के आदेश जारी कर दिए हैं. पूरी प्रक्रिया अब आधार (Aadhaar) की मदद से पूरी हो जाएगी. टेलीकॉम कंपनियों को हरेक वेरिफिकेशन का एक रुपया UIDAI को फीस के तौर पर देना होगा.
UIDAI के डेटाबेस में 18 साल से अधिक उम्र वाले नागरिकों की फोटो, बायोमेट्रिक जैसी आइडेंटिटी से जुड़ी जानकारियां मौजूद होती हैं. टेलीकॉम फर्में इस डेटाबेस को ऑनलाइन एक्सेस कर के एप्लिकेंट द्वारा दी गई जानकारियों की जांच कर सकती हैं.
कोरोना महामारी के कारण ऑनलाइन सर्विस डिलीवरी का चलन तेजी से बढ़ा है. लाखों लोग ऐप्स के जरिए बैंक से जुड़ी हर तरह की लेनदेन पूरी कर रहे हैं. OTP की मदद से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और जरूरी दस्तावेजों की डिलीवरी अब आम बनती जा रही हैं. पासपोर्ट जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट भी घरों पर पहुंचाए जा रहे हैं. होम डिलीवरी के माध्यम से एप्लिकेंट के एड्रेस की जांच भी हो जाती है. ई-टेलर आज इसी मॉडल पर टिके हैं.
मॉडल की मदद से हर तरह के पहचान पत्र और ट्रांजैक्शन का ई-वेरिफिकेशन हो सकता है. इसका इस्तेमाल हर संभव जगह बढ़ाया जाना चाहिए. सिम कार्ड का इस्तेमाल कई गलत कामों के लिए हो सकता है. अगर ई-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया इसपर साकार रही, तो इसे हर तरह की डिलीवरी के लिए आसानी से अपनाया जा सकेगा. देश में ईज ऑफ कंडक्टिंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा.
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