जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए प्रॉपर्टी बेचना है गैरकानूनी, आ सकती हैं ये मुश्किलें

देश के कइ शहरो में जीपीए के जरिए प्रोपर्टी बेची जाती है मगर ये वेलिड नहीं है. सिर्फ सेल डीड से बेची गइ प्रोपर्टी को ही कानूनी वेलिडिटी मिली है

  • Team Money9
  • Updated Date - November 13, 2021, 12:13 IST
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अगर कोई शख्स आपको जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) के जरिए अपनी प्रॉपर्टी बेच रहा है तो तुरंत उस ऑफर को मना कर दें. 2011 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जीपीए के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर वैध नहीं है. दिल्ली और देश के कइ शहरो में जीपीए के जरिए प्रोपर्टी बेची जाती है मगर ये वेलिड नहीं है. सिर्फ सेल डीड से बेची गइ प्रोपर्टी को ही कानूनी वेलिडिटी मिली है. यानी अगर आप अपनी खुन-पसीने की कमाइ से कोइ प्रोपर्टी खरीदने जा रहे है तो सीधे मालिक से खरीदे, पावर ओफ अटॉर्नी से नहीं.

क्या है पावर ऑफ अटॉर्नी

अगर आप किसी को पावर ऑफ अटॉर्नी (PoA) देते हैं तो दूसरे शख्स को आपकी ओर से कुछ खास कानूनी और फाइनेंशियल बिजनेस के फैसले लेने का अधिकार मिल जाता है. इस तरह की डील इंडिया से बहार रहने वाले अक्सर करते हैं. उदाहरण के तौर पर कोइ व्यक्ति अमरिका में है और बिमारी या किसी और कारण सेल डीड के लिए भारत नहीं आ सकता तो वो अपने कोइ रिलेटिव या विश्वासपात्र को पावर ऑफ अटॉर्नी दे देते हैं जो मूल देश में उनका बिजनेस संभालते हैं. लेकिन इस तरह की डील वेलिड सेल या टाइटल ट्रांसफर नहीं माना जाएगा.

पावर ऑफ अटॉर्नी के अधिकार

जीपीए के जरिए, आप अपना घर संभालने, किराए पर दी गई संपत्तियों को मैनेज करने, बिल भरने और होम लोन से जुड़ी ट्रांजेक्शन करने के लिए किसी को प्रतिनिधि नियुक्त कर सकते हैं. आप किसी अटॉर्नी को जीपीए के जरिए प्रॉपर्टी रजिस्टर करने का जिम्मा भी दे सकते हैं. इसके अलावा अगर आपको कोइ प्रोपर्टी खरीदनी है और सेलर (विक्रेता) की तरफ से कोइ जीपीए आया है और वो लिगल है और अगर वो आपके नाम से रजिस्ट्रेशन करवाता है तो वो कानूनी रुप से कोइ गलत चीज नहीं है. इस केस में पूरी ट्रांजेक्शन मान्य है. लेकिन समस्या तब आती है जब आप रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते और जीपीए सेल्स हो जाती है. आप मान लेते हैं कि आपने खरीद लिया और मालिक हो गए. जबकी सरकार की नजरो में वो प्रोपर्टी आपकी नहीं है. सिर्फ प्रोपर्टी सेल का एग्रीमंट बना देने से प्रोपर्टी आपके नाम नहीं हो जाती है. जीपीए से खरीदी हुइ प्रोपर्टी पे बैंक लोन भी नहीं देते हैं.

इस तरह की गलतियां न करें

कइ बार बायर और सेलर अपनी सुविधा के लिए कुछ डाक्युमेंट बना लेते हैं. जैसे की एग्रीमेंट टु सेल. जिस में लिखा होता है कि में ये प्रोपर्टी आपको बेच रहा हूं. इसके अलावा लिखा होता हैं की इस प्रोपर्टी के तमाम अधिकार में आपको दे देता हूं जिससे आप उसको खरीद या बेच सकते हैं. किसी को किराए पे दे सकते हो. और ये जीपीए भविष्य में केंसल नही कि जाएगी. तीसरा वो सेलर की तरफ से एक वसियत बना देते हैं. जिसमें विक्रेता ये लिख देता है की मेरी मृत्यु की स्थिति में ये प्रोपर्टी खरीदार को दे दी जाए. यानी कोइ और दावा न करें. कइ बार अलग से एफिडेविट बना देते हैं जिसमें लिखा होता है की भविष्य में बायर चाहेगा तो सेलर प्रोपर्टी का रजिस्ट्रेशन करने के लिए कभी भी मना नहीं करेगा. इस तरह के दस्तावेज बनाए जाते हैं और बायर मान लेता है की प्रोपर्टी उसके नाम हो गइ है. लिकेन आपको ध्यान रखना होगा की इस तरह का कोइ भी दस्तावेज प्रोपर्टी का टाइटल आप के नाम नहीं करेगा.

Published - November 13, 2021, 12:13 IST