Second Hand Cars: हाल के दिनों में सेकंड हैंड कार बाजार में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है. 2021 में सेकंड हैंड कार का व्यापार 17 बिलियन है. जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट (JM Financial report) के मुताबिक वित्त वर्ष 2026 के आखिर तक सेकंड हैंड कार का व्यापार 47 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. एक्सपर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण लोगों का रुझान सेकंड हैंड गाड़ियों की तरफ तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि यहां उचित कीमत पर लोगों को अच्छी गाड़ियां मिल रही हैं. जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट (JM Financial report) के मुताबिक, कोरोना महामारी से पहले वित्त वर्ष 2020 में सेकंड हैंड-कार का व्यापार 19 बिलियन अमरीकी डालर मूल्य की 4.4 मिलियन यूनिट थी. अब इस बाजार में तेजी से उछाल दर्ज की जा रही है. ऐसा अनुमान है कि अगले 5 साल में व्यापार में दोगुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी होगी.
जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी के बाद से आर्थिक अनिश्चितता के कारण सस्ती इस्तेमाल की गई कारों को प्राथमिकता दी जा रही है.
कम कीमत में लोगों को गारंटी के साथ सस्ती कार मिल रही है इसलिए लोगों का रुझान सेकंड हैंड कार की तरफ तेजी से बढ़ रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान प्रोडक्शन का काम पूरी तरह से रुक गया था, जिस वजह से अब कंपनियों को अपना ऑर्डर पूरा करने में समय लग रहा है. ऐसे में वित्तीय सुरक्षा को देखते हुए लोग कम कीमत वाले सेकंड हैंड कार को प्राथमिकता दे रहे हैं.
रिपोर्ट के जरिये कयास लगाए जा रहे हैं कि वित्त वर्ष 2026 तक बेची जाने वाली प्रत्येक नई कार के मुकाबले दो पुरानी कारों की बिक्री की जाएगी.
जबकि वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2026 के बीच नई कारों की बिक्री सालाना 9 फीसद तक रहने की उम्मीद है. इस दौरान सेकंड हैंड कारों की बिक्री में सालाना 15 फीसद बढ़ोतरी की उम्मीद है.
इस रिपोर्ट अनुसार सेकंड हैंड कार का व्यापार साल 2026 के अंत तक 47 बिलियन डॉलर हो जाएगा.
वित्त वर्ष 2021 में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कार बाजार है. यहां पर प्रति 1000 लोगों पर 22 कार है जो कि बहुत कम है. 2030 तक इसमे दोगुने से अधिकबढ़ोतरी की उम्मीद है. साल 2030 तक 1000 लोगों पर 45 कार होने की संभावना है.
रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि देश में निजी कारों की संख्या वित्त वर्ष 2026 तक 50 मिलियन से अधिक हो जाएगी.