Second Hand Car: भारत में इस समय सेकेंड हैंड कारों (Second Hand Car) का मार्केट काफी बड़ा होता जा रहा है, लेकिन कई बार लोग पुरानी कार खरीदने में धोखा खा जाते हैं.
यहां हम आपको ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिससे आप इस तरह के फ्रॉड से बच सकते हैं.
ऑनलाइन कार खरीदारी के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोगों को कोई और कार दिखाकर दूसरी कार दे दी गई. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें एक्सीडेंटल कार को अच्छी तरह पेंट और तैयार करके आपको बेच दिया गया.
इसलिए कोशिश करें कि सेकेंड हैंड कार ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन तरीके से ही खरीदें.
1- कई बार एक्सीडेंट वाली कार में नया पेंट और रिपेयर कराकर डीलर ऐसी गाड़ियों को आपको बेच देते हैं. कार के चेसिस, डूम और पिलर से इसका पता लगाया जा सकता है.
आप कार खरीदते वक्त गाड़ी के चेसिस को नीचे की ओर से चारों तरफ से देखें. अगर आपको कहीं कोई प्ले या बेंड नज़र आता है, तो समझिए गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ है.
2- पिलर्स से भी काफी हद तक गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है. जैसे ही दरवाजे खोलेंगे, तो वहां पिलर्स पर लगी रबर को हटाकर देखें, यहां बहुत सारे डॉट नजर आएंगे.
अगर इन डॉट में कहीं से क्रैक या ज्वाइंट दिखाई दे, तो भी गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है.
3-आप कार के डूम को देखकर भी एक्सीडेंट का पता लगा सकते हैं. बोनट खोलकर इंजन के पीछे वाला हिस्सा जहां सस्पेंशन लगा होता है, वहां आपको डूम दिखाई देगा. जिसके ऊपर सस्पेंशन टिका होता है.
अगर कार का एक्सीडेंट हुआ है, तो सबसे पहले यही हिस्सा क्षतिग्रस्त होता है. इस डूम पर कंपनी की पेस्टिंग होती है, लेकिन एक्सीडेंट के बाद पेस्टिंग निकल जाती है और इसे दोबारा नहीं लगाया जा सकता.
कंपनी की तरफ से सिर्फ नई गाड़ियों में ही पेस्टिंग आती है. कंपनी पुरानी गाड़ी पर दोबारा पेस्टिंग नहीं करती.
4- गाड़ी को बिल्कुल समतल जगह पर खड़ी कर लें. हैचबैक गाड़ी है, तो कार से 6 से 7 फीट और अगर एसयूवी है तो 9 से 10 फीट दूर जाकर सेंटर में खड़े हो जाएं और गाड़ी की बनावट को ध्यान से देखें.
यही काम गाड़ी के बैक साइड में खड़े होकर भी करें. अगर आपको दोनों तरफ से गाड़ी की बनावट में कोई अंतर दिख रहा है (यानी कुछ झुका या उठा हुआ दिख रहा है) तो इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाड़ी एक्सीडेंटल हो सकती है.