बाजार नियामक सेबी ने कार्वी इंवेस्टर सर्विसेज पर लिमिटेड (KISL) कड़ी कार्रवाई की है. अब यह कंपनी अपने साथ नए ग्राहक नहीं जोड़ पाएगी. सेबी ने इस कंपनी पर रोक लगा दी है. कंपनी ने रेगुलेटरी नियमों का उल्लंघन किया था इसलिए यह बैन लगाया गया है. हाल ही में सेबी ने कंपनी के अलग अलग रेगुलेटरी रिक्वायरमेंट के साथ कंप्लायंस स्टेटस को प्रमाणित करने के लिए मौके पर जाकर निरीक्षण किया था. सेबी ने पाया कि KISL के पास न ही कोई ऑफिस है और न ही कंपनी के पास कर्मचारी हैं जो उसके लिए काम करते हों. SEBI को पता चला कि केवल कार्वी डेटा मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड (KDMSL) उस जगह से काम कर रही थी. और ये कंपनी केवल पैन और आधार कार्ड से संबंधित सर्विस देती है.
सेबी का कहना है कि ये मर्चेंट बैंकर रेगुलेशन 1992 का उल्लंघन है क्योंकि बिना किसी फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और कर्मचारी के कोई भी मर्चेंट बैंक काम नहीं कर सकता है. इसलिए अब सेबी के आदेश के अनुसार कार्वी इन्वेस्टर उसके रजिस्टर्ड मर्चेंट बैंकर के तौर पर हटा दिया गया है. सेबी को लगता है कि सिक्योरिटी मार्केट और निवेशकों के हितों की इंटीग्रिटी के लिए ये गंभीर खतरा हो सकता है.
इसके अलावा KISL ने ब्लॉक के लिए रिन्यूअल फीस नहीं चुकाई. कंपनी ने दिसंबर 2022 से दिसंबर 2025 तक फीस नहीं दी है. अब कार्वी सर्विसेज सेबी के अगले आदेश तक काम नहीं कर पाएगी, न नए ग्राहक जोड़ पाएगी. इस कार्रवाई का असर ये हो सकता है कि मौजूदा समय में कार्वी इन्वेस्टर से जुड़े ग्राहक टूट सकते हैं. साथ ही सेबी की जांच के बाद ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि KISL से जुड़े आगे और भी घोटाले खुलकर सामने आ सकते हैं. इससे पूर्व सेबी घोटाला उजागर होने पर कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग फर्म को बंद करा चुका है.