रूफटॉप सोलर पैनलः बिजली बिल पर बचत के साथ कमाई का मौका

1 kW से 3 kW तक के रूफटॉप सोलर पैनल (Solar Power Panel) लगवाने पर बेंचमार्क कॉस्ट का 40 फीसदी बतौर सब्सिडी मिलता है.

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देश में सोलर पावर (Solar Power) को लेकर लोगों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है. सरकार की सोलर पावर (Solar Power) को बढ़ावा देने की स्कीमों से भी लोगों का रुझान सोलर पावर के लिए बढ़ रहा है. केंद्र सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया है और ऐसे में सोलर पावर पैनल (Solar Power) इसमें मददगार साबित हो सकते हैं. ऐसे में अगर आप अतिरिक्त कमाई करना चाहते हैं तो आप अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवा सकते हैं. रूफटॉप सोलर पैनल लगवाकर आप न सिर्फ अपनी जरूरत के लिए बिजली पैदा कर सकते हैं, बल्कि इसे ग्रिड के जरिए बेच भी सकते हैं.

इसी मकसद से सरकार ने ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप प्रोग्राम शुरू किया है. मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी एनर्जी के मुताबिक सरकार का मकसद 2022 तक रूफटॉप सोलर (RTS) प्रोजेक्ट्स के जरिए 40,000 मेगावॉट की कुल कैपेसिटी हासिल करना है. इसके अलावा, कार्बन उत्सर्जन को घटाने के लिए भी सरकार क्लीन एनर्जी स्रोतों पर जोर दे रही है.

सरकार की ओर मिलने वाली मदद
केंद्र सरकार फिलहाल केवल रेजिडेंशियल सेक्टर के लिए सेंट्रल फाइनेंशियल असिस्टेंस (CFA) मुहैया करा रही है.
इस स्कीम को फेज II रूपटॉप प्रोग्राम कहा गया है. अगस्त 2019 में इसे लॉन्च किया गया है. पहली बार इसमें डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को भी शामिल किया गया है. ये कंपनियां कंज्यूमर्स के साथ रोजाना आधार पर डील करती हैं.

रेजिडेंशियल में 1 kW से 3 kW तक के रूफटॉप सोलर पैनल (Solar Power Panel) लगवाने पर बेंचमार्क कॉस्ट का 40 फीसदी बतौर सब्सिडी मिलता है. बेंचमार्क कॉस्ट को हर साल सरकार जारी करती है.
इसके बाद 3 kW से 10 kW लोगों को 20 फीसदी सब्सिडी मिलती है. जबकि हाउसिंग सोसाइटीज और आरडब्ल्यूए को 500 kWp तक की कैपेसिटी के लिए 20 फीसदी वित्तीय मदद दी जा रही है. बेंचमार्क कॉस्ट हर साल बदलती रहती है.

अब छह कैटेगरी के लिए सरकार बेंचमार्क कॉस्ट जारी करती है. हालांकि, इस सेक्टर के एक्सपर्ट कहते हैं कि सरकार का मकसद यह है कि लोग बिजली बिल पर खर्च की जाने वाली रकम को बचाएं और इसके बाद आप कमाई भी कर सकते हैं.

EY के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और टीम लीडर सुप्रभा, नित्यानंदम युवराज दिनेश बाबू बताते हैं, “जब आप कहते हैं कि आप रूफटॉप पर सोलर पैनल (Solar Power Panel) लगवाते हैं तो इसका मुख्य मकसद बचत होती है. आप बिजली बिल के तौर पर दी जाने वाली रकम को बचाते हैं. सरकार का मकसद है कि सोलर पैनल (Solar Power Panel) के जरिए लोग डिस्कॉम से कम बिजली लें और पैसों की बचत करें.”

कैसे होगी बिजली की बचत?
दिनेश बाबू बताते हैं कि अगर आप 1 kW का सोलर पैनल लगवाते हैं तो आप हर महीने करीब 120 यूनिट बिजली पैदा कर सकते हैं. अगर आप 3 kW का पैनल लगवाते हैं तो हर महीने आप 360 यूनिट बिजली पैदा करेंगे. अब अगर आप 7 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से देखें तो यह रकम 2,520 रुपये प्रतिमाह बैठती है.
इसी तरह से अगर आप 5 kW का सोलर पैनल लगवाते हैं तो आप करीब 5,000 रुपये महीने बचा सकते हैं.
वे कहते हैं कि आपकी खपत के बाद बची हुई बिजली को आप बेच सकते हैं.

बैंक भी सोलर पैनलों के लिए आसान किस्तों में कर्ज मुहैया करा रहे हैं. आप सोलर पावर के जरिए बिजली पैदा करके और इसे बेचकर अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं.

कितना खर्च आता है?
ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर सिस्टम (Solar Power Panel) पर आपको 1 kW के लिए करीब 40,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इस तरह से 3 kW के लिए आपको करीब 1,20,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसमें से 40 फीसदी सब्सिडी मिल जाती है. यानी करीब 48,000 रुपये की छूट आपको मिल जाती है और आपको करीब 72,000 रुपये ही देने पड़ते हैं. इस रकम में से करीब 80 फीसदी पैसे आप बैंक से लोन पर हासिल कर सकते हैं.

वे कहते हैं कि अभी गुजरात और बिहार केंद्र की स्कीम के अलावा अपनी तरफ से भी बढ़िया इंसेंटिव्स लोगों को दे रहे हैं. गुजरात करीब 40 फीसदी की सब्सिडी अपनी तरफ से दे रहा है, जबकि बिहार करीब 25 फीसदी की सब्सिडी अलग से दे रहा है.

बड़े पैमाने पर सोलर पैनल (Solar Power Panel) इंस्टॉल करने के लिए आपको स्थानीय इलेक्ट्रिसिटी कंपनी से लाइसेंस लेना होगा. इसके बाद आपको पावर कंपनी से पावर परचेज एग्रीमेंट पर दस्तखत करना होगा.
केंद्र के अलावा, राज्य सरकारें भी अपनी तरफ से इसके लिए ऑफर देती हैं.

सोलर रूफटॉप पैनल को लगाने के लिए आपको अलग से जगह की जरूरत नहीं होगी, आप इसे अपने घर की छत पर लगा सकते हैं.

पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्य सोलर एनर्जी को खरीदते हैं. इसके तहत आप सरप्लस एनर्जी को पावर ग्रिड से कनेक्ट कर राज्य सरकार को बेच सकते हैं. इसके बदले में आपको कमाई होती है. राज्य सरकार की संस्थाओं से इन पैनलों की खरीदारी की जा सकती है.

अब सरकार के एक नए प्रावधान से कंज्यूमर्स को और फायदा होना तय है. सरकार ने पिछले साल 10 किलोवॉट तक के रूफटॉप सोलर पावर पैनल के लिए मीटरिंग और बिलिंग का नियम बदलकर इसे नेट मीटरिंग के तहत ला दिया है. जबकि इससे ऊपर के प्रोजेक्ट ग्रॉस मीटरिंग के तहत आएंगे.

नेट मीटरिंग व्यवस्था के तहत कस्टमर के सोलर पावर प्लांट (Solar Power Panel) से दिनभर में पैदा होने वाली बिजली को ग्रिड को वापस भेज दिया जाता है और शाम के वक्त ग्रिड से ली गई बिजली के बिल से इसे एडजस्ट किया जाता है. दूसरी ओर, ग्रॉस मीटरिंग व्यवस्था में ग्राहकों को कम कमाई होती है.

वे कहते हैं कि डिस्कॉम अमूमन सालाना आधार पर आपको इस बिल का भुगतान करते हैं. और हर राज्य इसके लिए अलग दर तय करता है.

Published - March 22, 2021, 05:32 IST