सरकार अगले वित्तवर्ष में भी ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं और चावल की बिक्री जारी रख सकती है. खाद्य मंत्रालय ने OMSS के तहत बफर स्टॉक मानदंडों से ज्यादा गेहूं और चावल के स्टॉक की बिक्री की नीति पर भारतीय खाद्य निगम यानि FCI को मंजूरी दे दी है. हालांकि यह पॉलिसी अगले वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक वैध रहेगी. ई-नीलामी के जरिए पूरे साल देश भर में गेहूं की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 रुपए प्रति क्विंटल पर होने की संभावना है.
जुलाई में की जाएगी समीक्षा
खाद्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक वास्तविक गेहूं खरीद के आधार पर जुलाई में समीक्षा की जाएगी और अगले वित्त वर्ष की शेष अवधि के लिए कीमत तय की जाएगी. नीति के अनुसार गेहूं की ई-नीलामी के जरिए खुले बाजार में निजी पार्टियों को अखिल भारतीय आरक्षित मूल्य पर रिलैक्स्ड स्पेसिफिकेशन (यूआरएस) किस्म के लिए 2,275 रुपए प्रति क्विंटल और उचित एवं औसत किस्म (FAQ) के लिए 2,300 रुपए प्रति क्विंटल पर की जाएगी. सरकार ने तय किया है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे गेहूं खरीद वाले राज्यों में खरीद अवधि (अस्थायी रूप से 30 जून तक) के दौरान कोई बिक्री नहीं की जाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ई-नीलामी कब शुरू की जाए और गेहूं की बाजार दरों के आधार पर प्रत्येक दौर में कितनी मात्रा की बिक्री की जाए इस पर भी सरकार के द्वारा फैसला लिया जाएगा.
उत्तरी राज्यों के आटा मिलर्स का कहना है कि दक्षिणी क्षेत्र के आटा मिल मालिकों के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि वे इस खरीद सीजन में गेहूं की खरीद नहीं करें और एफसीआई से रियायती दर पर गेहूं की खरीदारी करें. उनका कहना है कि दक्षिणी राज्यों के आटा मिल मालिकों को कम से कम मध्य प्रदेश से अपने मिल तक गेहूं को लाने में लगने वाले परिवहन और हैंडलिंग शुल्क को बचाना चाहिए. गौरतलब है कि खाद्य मंत्रालय ने कथित तौर पर इस साल गेहूं खरीद का लक्ष्य हासिल करने के लिए एक आक्रामक योजना बनाई है. दरअसल, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा बनाकर रखा गया केंद्र सरकार का बफर स्टॉक 1 अप्रैल तक 7.66 मिलियन टन के अनिवार्य मानदंड से नीचे आने की आशंका है. यह 16 साल में पहली बार होगा जब गेहूं का स्टॉक अनिवार्य बफर मानदंड के नीचे पहुंचेगा.