12 साल के इतिहास में पहला मौका जो गर्व करा रहा उप्र को, जानें क्‍या है खास बात

RTE: RTE के तहत एक लाख बच्चों ने इस वर्ष यूपी के 12,563 गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा के लिए प्रवेश प्राप्त किया है.

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लखनऊ RTE के तहत प्रवेश पाने वाले 12,770 बच्चों के साथ इस सूची में शीर्ष पर रहा, जबकि वाराणसी 8,655 बच्चों के साथ दूसरे स्थान पर और कानपुर नगर 6,078 प्रवेश के साथ तीसरे स्थान पर रहा.अलीगढ़ में कुल 4,864 बच्चों ने, जबकि मुरादाबाद में 4,202 बच्चों ने प्रवेश लिया. 

लखनऊ RTE के तहत प्रवेश पाने वाले 12,770 बच्चों के साथ इस सूची में शीर्ष पर रहा, जबकि वाराणसी 8,655 बच्चों के साथ दूसरे स्थान पर और कानपुर नगर 6,078 प्रवेश के साथ तीसरे स्थान पर रहा.अलीगढ़ में कुल 4,864 बच्चों ने, जबकि मुरादाबाद में 4,202 बच्चों ने प्रवेश लिया. 

RTE के तहत एक लाख बच्चों ने इस वर्ष यूपी के 12,563 गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा के लिए प्रवेश प्राप्त किया है. इन बच्चों को शुरुआत से लेकर कक्षा 8 तक मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी. देश में RTE लागू होने के 12 साल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब यूपी में किसी एक शैक्षणिक सत्र में इतने बच्चों को प्रवेश मिला है. जानकारी के लिए बता दें कि RTE के तहत स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रदेश में कुल तीन चरणों में 2,00,099 आवेदन मिले थे, जिसमें 1,64,405 आवेदन लॉटरी योग्य पाए गए. इस दौरान तीन चरणों में कुल 99,188 बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है.

इन जिलों का रहा दबदबा

लखनऊ RTE के तहत प्रवेश पाने वाले 12,770 बच्चों के साथ इस सूची में शीर्ष पर रहा, जबकि वाराणसी 8,655 बच्चों के साथ दूसरे स्थान पर और कानपुर नगर 6,078 प्रवेश के साथ तीसरे स्थान पर रहा.

अलीगढ़ में कुल 4,864 बच्चों ने, जबकि मुरादाबाद में 4,202 बच्चों ने प्रवेश लिया.

लॉटरी के माध्यम से हुआ आवंटन

बड़ी संख्या में बच्चों के एडमिशन के विषय पर ख़ुशी जाहिर करते हुए स्कूली शिक्षा की राज्य महानिदेशक अनामिका सिंह ने कहा कि वर्ष 2021 में एंड-टू-एंड प्रोसेस इंटीग्रेशन और व्यापक जागरूकता अभियान को शामिल करते हुए ऑनलाइन RTE पोर्टल के माध्यम से हमें विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए.

जिसके परिणामस्वरूप रिकॉर्ड 1 लाख आवंटन लॉटरी के माध्यम से हुए.

राज्य सरकार स्कूलों में इन प्रवेशों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, कोरोना की लहर होने के बाद हम स्कूलों को खोलने की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं.

इसके अलावा समय पर प्रतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए निजी स्कूलों को आरटीई पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं. यह एडमिशन नई शिक्षा नीति 2020 के राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण के तहत अनिवार्य होंगे.

क्या हैं नई शिक्षा नीति 2020 के राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण?

इसके तहत वर्ष 2030 तक शत-प्रतिशत बच्चों को स्कूली शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्य है. इसके तहत राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण में सभी सरकारी और निजी स्कूल शामिल होंगे.

नई शिक्षा नीति के अनुसार पहली बार सरकारी और निजी स्कूलों में एक नियम लागू होंगे. गुणवत्ता सुधारने के लिए हर पांच वर्ष में स्कूली शिक्षा की समीक्षा होगी.

तीन चरणों में पूरी हुई दाखिले की प्रक्रिया

पहले चरण में 1,01,783 आवेदन मिले थे, जिनमें से 79,853 आवेदकों की लॉटरी निकाली गई और 54727 विद्यार्थियों को प्रवेश मिला. दूसरे चरण में 76,190 आवेदन मिले, जिसमें 56,703 आवेदक लॉटरी योग्य पाए गए और 31,512 विद्यार्थियों को प्रवेश मिला.

तीसरे चरण में 22,126 विद्यार्थियों के आवेदन मिले इनमें से 16,492 आवेदक योग्य पाए गए और लॉटरी के बाद 12,949 बच्चों को स्कूलों में दाखिला मिला है. इन सभी बच्चों का चयन राज्य सरकार द्वारा स्थापित लॉटरी प्रणाली पर आधारित है.

क्या है आरटीई ?

वर्ष 2002 में 86वें संवैधानिक संशोधन से शिक्षा के अधिकार को संविधान के भाग- III में एक मौलिक अधिकार के तहत शामिल किया गया.

आरटीई को अनुच्छेद 21A के अंतर्गत शामिल किया गया, जिसने 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिये शिक्षा के अधिकार को एक मौलिक अधिकार बना दिया.

इस अधिकार को व्यवहारिक रूप देने के लिए संसद में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 पारित किया, जो 1 अप्रैल 2010 से देश में लागू हुआ.

Published - September 3, 2021, 04:26 IST