खुदरा महंगाई 5 महीने के ऊपरी स्तर पर, आपके ऊपर ऐसे पड़ेगा असर

सितंबर में खुदरा महंगाई 5 महीने के ऊपरी स्तर 7.41 फीसद पर पहुंच गई है. खुदरा महंगाई यानी वह महंगाई जो सीधे आपकी जेब को प्रभावित करती है.

खुदरा महंगाई 5 महीने के ऊपरी स्तर पर, आपके ऊपर ऐसे पड़ेगा असर

सितंबर में खुदरा महंगाई 5 महीने के ऊपरी स्तर 7.41 फीसद पर पहुंच गई है. खुदरा महंगाई यानी वह महंगाई जो सीधे आपकी जेब को प्रभावित करती है. महंगाई की दर बता रही है कि पिछले साल जो चीजें 100 रुपए की मिल रहीं थीं उनके लिए अब 107 रुपए से ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं. लेकिन इसमें कई चीजें ऐसी हैं जिनके लिए और भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है और ऐसी ही चीजों में अनाज शामिल है. गेहूं की कम उपज और चावल के उत्पादन अनुमान में कटौती के बाद अनाज की महंगाई तेजी से बढ़ रही है.

अनाज की महंगाई में दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी

मई से अबतक अनाज की महंगाई में दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है. मई में अनाज की महंगाई 5.33 फीसद हुआ करती थी. उस समय गेहूं की नई फसल मंडियों में आना शुरू हुई थी. लेकिन बाजार गेहूं की कम फसल को भांप चुका था. और उसकी वजह से अनाज की महंगाई बढ़ना शुरू हो गई. सितंबर में यह आंकड़ा बढ़कर 11.53 फीसद हो गया है. और गेहूं की महंगाई का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. मंडियों में भाव रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गया है. बुधवार को दिल्ली में गेहूं का भाव 2560 रुपए प्रति क्विंटल रहा. जो अबतक का रिकॉर्ड स्तर है. अक्टूबर में अबतक गेहूं का भाव लगभग 2 फीसद बढ़ चुका है. अक्टूबर की शुरुआत में भाव 2519 रुपए था.

चावल की कीमतों में भी बढ़ोतरी की आशंका

गेहूं के अलावा चावल की कीमतों में भी अब बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है. क्योंकि इस साल खरीफ चावल का उत्पादन घटने का अनुमान है. और साथ में हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बेमौसम बरसात की वजह से फसल को नुकसान की आशंका भी है. ऊपर से सरकार के भंडार में अनाज का स्टॉक 5 वर्षों के निचले स्तर तक आ गया है. पहली अक्टूबर केंद्रीय पूल में गेहूं और चावल का कुल स्टॉक 432 लाख टन दर्ज किया गया है. जो अक्टूबर की शुरुआत में 2017 के बाद सबसे कम स्टॉक है.

गेहूं या चावल की कीमतों में होगा इजाफा?

गेहूं और चावल का यह घटा हुआ स्टॉक महंगाई की आग को और भड़का सकता है. सरकार ने दिसंबर तक फ्री राशन स्कीम को बढ़ा दिया है. और उसके लिए अनाज की सप्लाई सरकारी स्टॉक से ही होगी. ऐसे में खुले बाजार में गेहूं या चावल की कीमतें बढ़ती हैं. तो वहां सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार के पास अनाज की कमी होगी. इसी कमी की वजह से अनाज की महंगाई दहाई के आंकड़े में पहुंची है. और उससे निकट भविष्य में राहत मिलने की उम्मीद भी कम है.

Published - October 14, 2022, 02:21 IST