वित्त मंत्रालय ने घरेलू बचत में गिरावट को लेकर हो रही आलोचनाओं को नकारते हुए कहा कि लोग अब दूसरे वित्तीय उत्पादों में निवेश कर रहे हैं और ‘संकट जैसी कोई बात नहीं ‘ है. मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी बयान में घरेलू बचत में पिछले कई दशक में आई सबसे बड़ी गिरावट और इसके अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर की जा रही आलोचनाओं को सिरे से खारिज कर दिया.
वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘घरेलू बचत में गिरावट और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को लेकर हाल में आलोचना की गयी है। हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ताओं का रुझान अब विभिन्न वित्तीय उत्पादों की ओर है। और यही कारण है कि घरेलू बचत कम हुई है। इसको लेकर चिंता जैसी कोई बात नहीं है.’
भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा मासिक बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि शुद्ध घरेलू बचत वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 प्रतिशत रही, जो पिछले 47 वर्षों का निचला स्तर है। इससे एक साल पहले यह 7.2 प्रतिशत थी. दूसरी तरफ घरेलू क्षेत्र की सालाना वित्तीय देनदारी बढ़कर 5.8 प्रतिशत हो गयी, जो 2021-22 में 3.8 प्रतिशत थी. वित्त मंत्रालय ने कहा कि जून, 2020 और मार्च, 2023 के बीच घरेलू सकल वित्तीय परिसंपत्तियां 37.6 प्रतिशत बढ़ीं. वहीं घरेलू सकल वित्तीय देनदारी 42.6 प्रतिशत बढ़ी। इन दोनों के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं है.
मंत्रालय ने कहा, ‘परिवारों के स्तर पर वित्त वर्ष 2020-21 में 22.8 लाख करोड़ की शुद्ध वित्तीय परिसंपत्तियां जोड़ी गईं. वित्त वर्ष 2021-22 में लगभग 17 लाख करोड़ और वित्त वर्ष 2022-23 में 13.8 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय संपत्तियां बढ़ीं. इसका मतलब है कि उन्होंने एक साल पहले और उससे पहले के वर्ष की तुलना में इस साल कम वित्तीय संपत्तियां जोड़ीं. लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शुद्ध रूप से उनकी कुल वित्तीय परिसंपत्तियां अब भी बढ़ रही हैं.’
इसमें कहा गया है कि परिवारों ने पिछले वर्षों की तुलना में कम मात्रा में वित्तीय परिसंपत्तियां जोड़ीं क्योंकि वे अब कर्ज लेकर घर एवं अन्य रियल एस्टेट संपत्तियां खरीद रहे हैं. विभाग के बयान के अनुसार, ‘व्यक्तिगत कर्ज के बारे में रिजर्व बैंक का आंकड़ा हमारी बात की पुष्टि करता है. बैंक जो व्यक्तिगत कर्ज देते हैं, उसमें कई तत्व हैं. उसमें प्रमुख हैं रियल एस्टेट कर्ज और वाहन कर्ज, बैंकों की तरफ से दिये गये कुल व्यक्तिगत कर्ज में इनकी हिस्सेदारी 62 प्रतिशत है। अन्य प्रमुख श्रेणियां व्यक्तिगत कर्ज और क्रेडिट कार्ड कर्ज हैं.’
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, आवास ऋण में मई, 2021 के बाद से लगातार दहाई अंक में वृद्धि हुई है. इससे वास्तविक संपत्ति खरीदने के लिये वित्तीय देनदारियां बढ़ी हैं. वाहन ऋण अप्रैल, 2022 से सालाना आधार पर दहाई अंक में बढ़ा है। वहीं सितंबर, 2022 से सालाना आधार पर इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
मंत्रालय के मुताबिक, यह दर्शाता है कि घरेलू क्षेत्र में संकट जैसी कोई बात नहीं है. लोग बैंकों से कर्ज लेकर वाहन और मकान खरीद रहे हैं. कुल मिलाकर घरेलू बचत (मौजूदा कीमतों पर) 2013-14 और 2021-22 (8 वर्ष) के बीच 9.2 प्रतिशत की संचयी सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है. वहीं मौजूदा मूल्य पर जीडीपी में इस दौरान संचयी आधार पर 9.65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
इसमें कहा गया है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों रुपए की तुलना में लगभग 2,40,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, यह 11.2 गुना है. आलोचक इसपर गौर करना भूल गए. मंत्रालय के अनुसार, एनबीएफसी का कुल बकाया खुदरा कर्ज 2021-22 में 8.12 लाख करोड़ रुपए था जो 2022-23 में बढ़कर 10.5 लाख करोड़ रुपए हो गया, यह 29.6 प्रतिशत अधिक है.