भारतीय रीजर्व बैंक ने गुरुवार को जारी किए सालाना रिपोर्ट में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के अर्थव्यवस्था पर असर को लेकर जानकारी दी है. RBI ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की वजह से वित्त वर्ष 2021-22 के ग्रोथ अनुमानों में संशोधन करने की जरूरत पड़ी है और अब 10.5 फीसदी के पूर्वानुमान की ओर ही आम सहमति बन रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के ग्रोथ आउटलुक के लिए महामारी सबसे बड़ा जोखिम साबित हो रही है. हालांकि, सरकार की ओर से कैपेक्स पर जोर, कैपिटल गुड्स इंपोर्ट पर टर्नअराउंड और क्षमता का इस्तेमाल बढ़ने से उम्मीद मिल रही है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि ग्लोबल स्तर पर महामारी से लड़ने का साझा प्रयास जरूर असर करेगा.
2020-21 की सालाना रिपोर्ट में RBI ने कहा है कि पिछले साल ने अर्थव्यवस्था पर घाव छोड़े हैं और दूसरी लहर के बीच वित्त वर्ष 2021-22 की शरुआत में वैक्सीनेशन से उम्मीद बन रही है.
RBI ने कहा है, “दूसरी लहर की शुरुआत से ग्रोथ अनुमान में संशोधन की जरूरत पड़ी है. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम सहमति रिजर्व बैंक के ही पहले के अनुमान 10.5 फीसदी की ओर बन रही है. पहली तिमाही में 26.2 फीसदी, दूसरी में 8.3 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.4 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.2 फीसदी.”
RBI ने कहा है कि इस वित्त वर्ष में मॉनेटरी पॉलिसी ग्रोथ को लेकर रुझान रहेगा और ये सुनिश्चित करेंगे की महंगाई लक्ष्य के अंदर ही रहे.
वायरस के बढ़ते मामलों की वजह से महामारी चिंताजनक स्थिति में है जिससे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बना है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में फिस्कल इंडिकेटर्स में आई गिरावट महामारी के साथ ही टैक्स आय में सुस्ती और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी की वजह से भी रही है.
RBI ने कहा है कि ग्रोथ को पटरी पर लाने के लिए सरकार को एक्जिट स्ट्रैटेजी पर काम करना होगा और फिस्कल बफर्स बनाने होंगे जिससे भविष्य में आने वाले ऐसे ग्रोथ शॉक का सामना किया जा सके.