RBI Credit Policy: भारतीय रिजर्व बैंक ने इस वित्त वर्ष की पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने क्रेडिट पॉलिसी के ऐलान में ब्याज दरों में कोई बदलाव ना करने का फैसला लिया है. मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी के सभी सदस्यों ने एकमत से ये फैसला लिया है. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार रखा है और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर. वहीं RBI ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 10.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान बरकरार रखा है. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने अपने ऐलान में कहा है कि बढ़ते कोरोना मामलों से इकोनॉमी की रिकवरी के लिए अनिश्चितता बढ़ी है.
ब्याज दरों के ऐलान के साथ ही रिजर्व बैंक ने कहा है कि मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) ने ग्रोथ को सहारा देने और महंगाई को तय दायरे में सीमित रखने के लिए अकोमोडेटिव रुख बरकरार रखा है.
RBI Credit Policy: रेपो रेट वो दर है जिसपर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है. ये ब्याज दर बढ़ने से बैंकों के लिए पैसे जुटाना महंगा होता है. और बैंक इसका बोझ ग्राहकों को ट्रांसफर करते हैं. रेपो रेट में बदलाव से ग्राहकों की लोन की EMI पर असर पड़ता है. रेपो रेट बढ़ने से आपकी EMI का बोझ बढ़ने की आशंका रहती है.
MPC के मुताबिक इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में महंगाई बढ़कर 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही .यानि जनवरी-मार्च के लिए रिटेल महंगाई का अनुमान संशोधित करके 5 फीसदी कर दिया है. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में महंगाई घटकर 4.4 फीसदी रहने का अनुमान दिया है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा है कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने पर जोर देना होगा ताकि आर्थिक रिकवरी की रफ्तार जारी रहे. उन्होंने कहा है कि बढ़ते कोविड-19 संक्रमण से आर्थिक रिकवरी और ग्रोथ के लिए अनिश्चितता बनी है. हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया कि कोरोना संकट के बावजूद ग्रोथ में रिकवरी जारी है. हालांकि स्थिति सामान्य तक पहुंचने में और समय लग सकता है.
शक्तिकांता दास ने कहा है कि सेंट्रल बैंक की कोशिश है कि देश में पर्याप्त लिक्विटिडी बनी रहे.
ये भी पढ़ें: SBI ने महंगा किया होम लोन, क्या दूसरे बैंक भी बढ़ाएंगे दरें?