नोएडा-दिल्ली की खुदरा मंडियां हों या ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स, दोनों ही जगह शिमला मिर्च का भाव 50 से 60 रुपए प्रति किलोग्राम चल रहा है लेकिन इस फसल को उगाने वाले पंजाब के किसान इन्हें सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं. इसका कारण है कि अच्छे खासे भाव पर बाजार में आम उपभोक्ता को मिलने वाली शिमला मिर्च का सही दाम किसानों को नहीं मिल रहा है. अमृतसर की थोक सब्जी मंडी में किसानों को शिमला मिर्च का एक रुपए प्रति किलो का भाव मिल रहा है. ऐसे में किसान मेहनत से उगाई शिमला मिर्च को सड़कों पर फेंक दे रहे हैं.
इस साल सीजन के शुरुआत में ही पंजाब में शिमला मिर्च की अच्छी आवक देखी जा रही है. बागवानी विभाग ने कहा कि इस बार लंबे समय तक ठंडा मौसम रहा जिस वजह से इस साल सभी राज्यों में शिमला मिर्च का उत्पादन अधिक हुआ है. पहले महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की फसल जनवरी-फरवरी के बीच में आती थी, उसके बाद पंजाब की उपज मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में आती थी लेकिन इस बार सभी राज्यों की शिमला मिर्च की किस्में एक साथ आ गई है जिससे पंजाब के किसानों को शिमला मिर्च की भरमार का सामना करना पड़ रहा है. इस बढ़ोतरी में जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है क्योंकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की फसल जल्दी आ जाती थी लेकिन इस बार ये चक्र गड़बड़ा गया है.
पंजाब के किसानों को इस बार व्यापारी 15 से 17 किलो के एक बैग के लिए सिर्फ़ 15 रुपए दे रहे हैं. ऐसा ही समय किसानों को कोरोना के दौरान देखने को मिला था जब मई में किसानों को एक किलो शिमला मिर्च के लिए 3 रुपए मिल रहे थे. हालांकि अप्रैल में शुरुआती फ़सल के लिए उन्हें 10 से 15 रुपए प्रति किलोग्राम का भाव मिल गया था लेकिन इस बार स्थिति उससे भी बुरी है.
बता दें पंजाब में 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर सब्जियों की खेती की जाती है. इनमें से शिमला मिर्च मुख्य रूप से मानसा, फिरोजपुर और संगरूर जिलों में लगभग 1,500 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती है. इसमें संगरूर का 500 हेक्टेयर, मनसा का 250 हेक्टेयर और फिरोजपुर का लगभग 100 हेक्टेयर इलाका शिमला मिर्च उगाने के लिए इस्तेमाल होता है.