जब भी लघु बचत योजनाओं में निवेश की बात आती है तो पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) और सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) की चर्चा सबसे पहले होती है. ये दोनों ही ऐसी योजनाएं हैं जिनमें निवेश पर कोई जोखिम नहीं है और तय रिटर्न मिलता है. ये दोनों निवेश लंबी अवधि के हैं जिनमें आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्स में छूट का भी लाभ मिलता है. पीपीएफ रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए अच्छा विकल्प साबित होती है जबकि सुकन्या स्कीम बेटी के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के हिसाब से तैयार की गई है. अब सवाल यह है इन दोनों में निवेश के लिए कौनसी स्कीम बेहतर है. आइए समझते हैं-
कैसे खुलवाएं खाता?
पीपीएफ और सुकन्या खाता बैंक या पोस्ट ऑफिस में खोला जा सकता है. इसके लिए आपको अपने ग्राहक को जानो (KYC) की प्रक्रिया पूरी करानी होगी. इसके लिए पैन और आधार कार्ड की जरूरत पड़ेगी. बच्चे के नाम पर निवेश है तो उसके जन्म प्रमाण पत्र देना होगा.
अकाउंट्स की संख्या
पीपीएफ और एसएसवाई में एक व्यक्ति के नाम से एक ही खाता खोला जा सकता है. दोनों ही विकल्प में एक से ज्यादा खाता खोलने की अनुमति नहीं है. लेकिन सुकन्या योजना में परिवार में अधिकतम दो बेटियों के नाम पर यह खाता खुलवाया जा सकता है. अगर बेटी जुड़वां हैं तो तीन अलग-अलग खाते खोले जा सकते हैं.
कौन कर सकता है निवेश?
पीपीएफ खाते में उम्र को लेकर कोई सीमा नहीं है. पीपीएफ खाता बच्चे, पत्नी या फिर नाती, पोते या पोती के नाम से खोला जा सकता है.माता-पिता के साथ नाबालिग के लिए भी ज्वॉइंट रूप से अकाउंट हो सकता है. 18 साल की उम्र के बाद नाबालिग खुद ही इस अकाउंट की देखरेख कर सकता है. वहीं सुकन्या योजना विशेष रूप से 10 वर्ष से कम आयु की बेटियों के लिए है. बेटी के जन्म से लेकर उसके 10 साल की होने तक की उम्र तक उसके नाम पर ये खाता खोला जा सकता है. बेटी के 21 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर ये स्कीम मैच्योर होती है. सुकन्या में माता-पिता खाता खोलकर निवेश करते हैं.
लॉक-इन अवधि
पीपीएफ 15 साल की योजना है. एक बार मैच्योर होने पर इस निवेश को 5-5 साल के लिए दो बार आगे बढ़ाया जा सकता है. सुकन्या योजना में निवेश बेटी के अधिकतम 21 वर्ष तक पहुंचने तक जारी रहता है.
न्यूनतम निवेश की रकम
पीपीएफ में हर वित्त वर्ष में कम से कम 500 रुपए निवेश करना अनिवार्य है.सुकन्या योजना में सालाना 250 रुपए का न्यूनतम निवेश जरूरी है. लेकिन दोनों ही विकल्प में आप एक वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक ही निवेश कर सकते हैं.
कितने मिलेगा ब्याज?
सरकार लघु बचत योजनाओं में ब्याज दरों की हर तिमाही समीक्षा करती है. ऐसे में पीपीएफ और सुकन्या का ब्याज कभी भी संशोधित हो सकता है. अभी 2023 के अप्रैल-जून तिमाही में PPF पर 7.1 फीसद और सुकन्या पर 8 फीसद ब्याज मिल रहा है. इन दोनों विकल्पों में सालाना आधार पर कंपाउंड होता है. साल दर साल ब्याज के साथ रकम बढ़ती है.
रिटर्न का कैलकुलेशन
अगर आप पीपीएफ में सालाना 50,000 रुपए निवेश करते हैं. अभी के 7.1 फीसद के ब्याज को मानकर चलें तो 15 साल में कुला जमा राशि हुई 7.5 लाख रुपए हुए. निवेश की पूरी अवधि में इस पर 6.6 लाख रुपए ब्याज मिलेगा. इस तरह मैच्योरिटी पर 13.56 लाख रुपए मिलेंगे. अगर पांच साल की बेटी के लिए सुकन्या में हर साल 50,000 रुपए जमा कराते हैं और 8% फीसद ही ब्याज मानकर चलें 15 साल में 7.5 लाख रुपए जमा होंगे. निवेश की 21 साल की अवधि में इस राशि पर ब्याज मिलेगा 14.94 लाख रुपए. इस तरह बेटी के 26 साल की होने पर कुल 22.44 लाख रुपए मिलेंगे. सुकन्या खाते में अधिकतम 15 साल तक ही निवेश कर सकते हैं.
टैक्स का फायदा
पीपीएफ और SSY दोनों पर EEE टैक्स स्टेटस के तहत टैक्स छूट मिलती है यानी निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी की राशि पूरी तरह टैक्स फ्री होती है. इस तरह तीन स्तर पर टैक्स छूट है.
प्रीमैच्योर क्लोजर
खाताधारक कुछ परिस्थितियों में समय से पहले अपना PPF खाता बंद कर सकता है. खाता खुलने के पांच साल बाद ही इसे बंद करवाया जा सकता है. अगर SSY खाताधारक की मृत्यु हो जाती है तो इस इस खाते को बंद कराया जा सकता है. बेटी के 21 साल की होने से पहले और 18 साल के बाद अगर बेटी की शादी होती है तो SSY खाते को बंद किया जा सकता है.
लोन की सुविधा
सुकन्या खाते पर लोन की कोई भी सुविधा नहीं है. लेकिन पीपीएफ अकाउंट से कुल रकम की 90 फीसद राशि तक लोन लिया जा सकता है. इसके लिए शर्त है कि पीपीएफ स्कीम में आपको कम से कम पांच वित्त वर्ष तक न्यूतनम रकम का निवेश करना चाहिए.
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट पूजा भिंडे कहती हैं कि पीपीएफ और सुकन्या दोनों ही डेट कैटेगरी के निवेश हैं. आपके पोर्टफोलियो में यह निवेश जरूर होना चाहिए. ये दोनों ही प्रोडक्ट बहुत महत्वपूर्ण हैं. अगर आपके परिवार में 10 साल तक बिटिया है तो सुकन्या में जरूर निवेश करना चाहिए. अगर बिटिया नहीं है तो बेटे के नाम पर पीपीएफ में निवेश करना चाहिए. अपनी रिटारमेंट प्लानिंग में पीपीएफ को जरूर शामिल करें.