देश में सरकारी बैंकों के हो रहे विलय और बैंकिग सेवा के डिजिटाइजेशन की वजह से सरकारी बैंकों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगातार कम हो रही है, दूसरी तरफ प्राइवेट बैंकों के कर्मचारियों के आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान प्राइवेट बैंकों में कर्मचारियों की संख्या में 98518 की बढ़ोतरी हुई है जबकि दूसरी तरफ सरकारी बैंकों (PSBs) के कर्मचारियों की संख्या 3385 घटी है.
रिपोर्ट के मुताबिक प्राइवेट बैंकों में जिस रफ्तार से कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए लग रहा है कि जल्द ही सरकारी बैंकों के मुकाबले उनमें ज्यादा कर्मचारी होंगे. मार्च 2023 तक, PSBs और PvSBs (प्राइवेट बैं) कर्मचारियों की संख्या क्रमशः 7,56,644 और 7,45,612 थी., जबकि अभी देश में 12 PSB और 21 PvSB हैं.
हालांकि सरकारी बैंकों में घटते कर्मचारियों की संख्या के बावजूद उनमें प्रति कर्मचारी ज्यादा बैंकिंग हो रही है. भारतीय बैंक संघ द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, FY23 में, PSB का प्रति कर्मचारी औसत कारोबार ₹23.80 करोड़ था, जबकि पीवीएसबी का ₹15.02 करोड़ था.
बैंकिंग विशेषज्ञ वी विश्वनाथन का कहना है कि 2016-17 में एसबीआई और उसके सहयोगियों के साथ शुरुआत करते हुए, एकीकरण के कारण सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 हो गई है. इसके बाद 2020 में 10 पीएसबी का चार में बड़े एकीकरण हुए. इसके परिणामस्वरूप शाखाओं का युक्तिकरण हुआ क्योंकि कई स्थानों पर ब्रांचेज की ओवरलैपिंग थी. इसके अलावा, बड़ी संख्या में शाखाएँ भी बंद हो गईं. दूसरी ओर, निजी क्षेत्र के बैंक पिछले तीन वर्षों में शाखा विस्तार की होड़ में हैं.
सरकारी बैंकों के कर्मचारियों के उपर काम का भार बढ़ रहा है. ग्राहकों की संख्या में तेजी और कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने से बैंकों में पद खाली हुए हैं. लेकिन इस रफ़्तार से भर्ती नहीं हो रही है. इसलिए इस साल के अंत यानी दिसम्बर और अगले साल यानी जनवरी 2024 में बैंक यूनियन बड़े हड़ताल की तयारी में हैं. एआईबीईए ने पर्याप्त भर्ती की मांग पर जोर देने और नियमित की आउटसोर्सिंग का विरोध करने के लिए एक आंदोलन कार्यक्रम का आह्वान किया है, जिसमें बैंक-वार और राज्य-वार हड़तालें शामिल हैं, जिसका समापन 19 और 20 जनवरी को दो दिवसीय अखिल भारतीय बैंक हड़ताल में होगा.