PM मोदी का J&K में जल्द चुनाव का वादा, राजनीतिक नेताओं के साथ हुई बैठक

प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमारी मुख्य प्राथमिकता J&K में जमीनी धरातल पर लोकतंत्र को मजबूत करना है. परिसीमन का काम रफ्तार से होगा ताकि चुनाव हो सकें.

J&K, PM Modi, election, delimitation, article 370, amit shah

परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी.

परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी.

जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक संवाद शुरू करने की पहल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इस क्षेत्र के कई नेताओं के साथ बातचीत की. गुजरे 2 वर्षों में पहली बार केंद्र सरकार की जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व के साथ बातचीत हुई है.

प्रधानमंत्री ने इस मीटिंग के बाद कहा है कि जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक नेताओं के साथ बैठक विकसित और प्रगतिशील J&K की दिशा में एक अहम कदम है.

मीटिंग के बाद एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमारी मुख्य प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी धरातल पर लोकतंत्र को मजबूत करना है. परिसीमन (डीलिमिटेशन) का काम तेज रफ्तार से होगा ताकि चुनाव कराए जा सकें और जम्मू और कश्मीर को एक चुनी हुई सरकार मिल सके जो कि J&K की विकास की राह को रफ्तार दे सके.

इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ जम्मू-कश्मीर के 14 नेता शामिल थे.

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह पहली ऐसी बैठक है जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी मजबूती साथ बैठकर विचारों का आदान-प्रदान करने की काबिलियत है. मैंने जम्मू और कश्मीर के नेताओं से कहा है कि लोगों और खासतौर पर युवाओं को जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक नेतृत्व मुहैया कराना होगा और ये सुनिश्चित करना होगा कि उनकी महत्वाकांक्षाएं पूरी हों.”

राजधानी के 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर लगभग साढ़े तीन घंटे चली इस बैठक में पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्री और चार पूर्व उपमुख्यमंत्री शामिल हुए.

इन नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर प्रमुख हैं.

इनके अलावा बैठक में पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग, पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन मौजूद थे.

भाजपा की ओर से बैठक में शामिल होने के लिए जम्मू एवं कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना, पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता और निर्मल सिंह भी प्रधानमंत्री आवास पहुंचे.

बैठक आरंभ होने से पहले फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मैं बैठक में अपनी बात रखूंगा और उसके बाद आपको बताउंगा कि मैंने क्या मुद्दे उठाएं.’’

बैठक का चूंकि कोई एजेंडा तय नहीं किया गया है इसलिए अधिकांश दलों ने कहा है कि वह खुले मन से बैठक में अपनी बात रखेंगे.

गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) के प्रवक्ता एवं माकपा नेता तारिगामी ने कहा, ‘‘हमें कोई एजेंडा नहीं दिया गया है. हम बैठक में यह जानने के लिए शामिल होंगे कि केंद्र क्या पेशकश कर रहा है.’’

कम्युनिस्ट नेता ने कहा कि पीएजीडी ‘‘वहां जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए होगा.’’

यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब एक दिन पहले ही परिसीमन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जम्मू-कश्मीर के सभी उपायुक्तों के साथ मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन और 7 नई सीटें बनाने पर विचार-विमर्श किया था.

परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी.

5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया था और राज्य को जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था.

इसके बाद फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को संसद में पारित किए जाने के समय केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने आश्वासन दिया था कि केंद्र उपयुक्त समय पर जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करेगा.

जम्मू-कश्मीर में 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू है.

Published - June 24, 2021, 09:46 IST