प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी तथा शहरों में बदलाव के लिए अटल मिशन-अमृत के दूसरे चरण का शुभारंभ किया. इन अभियानों का उद्देश्य सभी शहरों को कचरा मुक्त बनाना और सुरक्षित जलापूर्ति की व्यवस्था करना है. इन दोनों मिशन के अन्तर्गत सभी शहरों को कचरे से मुक्त और जलापूर्ति सुनिश्चित करना है. ये मिशन तेजी से हो रहे शहरीकरण की चुनौतियों से निपटने की दिशा में सार्थक प्रयास है. इनसे सतत विकास लक्ष्य 2030 के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी.
नई दिल्ली में इन पहलों का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने मिशन अमृत के अगले चरण में इसके अंतर्गत गंदे नाले, सैप्टिक प्रबन्धन में सुधार, शहरों को जल सुरक्षित बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि नदियों में कहीं भी गंदे नालों का दूषित जल नहीं प्रवेश कर सके.
प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर असमानता दूर करने के उपायों के अन्तर्गत शहरी विकास को शामिल मानते थे. उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान और अमृत मिशन का अगला चरण शहरों में जीवन को सुगम बनाने के डॉक्टर बी.आर. आम्बेडकर के सपने को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता एक दिन, एक पखवाडे और एक वर्ष के लिए नहीं बल्कि यह प्रत्येक व्यक्ति के भाग लेने के लिए प्रतिदिन का महाभियान है. उन्होंने राज्य सरकारों, महापौरों और स्थानीय प्रशासनों से स्वच्छता मिशन में सक्रियता से भाग लेने की अपील की.
सफाई कर्मचारियों की सेवाओं की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे स्वच्छ भारत मिशन के हीरो हैं. उन्होंने कहा कि देश ने कोरोना के कठिन काल में उनके योगदान को महसूस किया है.
अगले स्तर की स्वच्छता के अभियान के लिए उठाये गए उपायों की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में लगभग एक लाख टन कचरे का प्रतिदिन प्रसंस्करण हो रहा है. वर्ष 2014 में प्रतिदिन कुल कचरे का बीस प्रतिशत से भी कम हिस्सा प्रसंस्कृत होता था, जबकि मौजूदा समय में 70 प्रतिशत भाग का प्रसंस्करण होता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरों में कचरे के लगे पहाडों का भी प्रसंस्करण किया जायेगा और इन्हें पूरी तरह हटाया जायेगा.
मोदी ने सरकार ने शहरी विकास के लिए राशि के आवंटन का उल्लेख करते हुए कहा कि 2014 से पहले सात वर्षों में इस क्षेत्र के लिए लगभग एक लाख 25 हजार करोड रुपये प्रदान किए गए थे, जबकि 2014 से अगले सात वर्ष के लिए लगभग चार लाख करोड रुपये आंवटित किये गए.
प्रधानमंत्री ने शत-प्रतिशत शहरी परिवारों के लिए नल से जल के कनेक्शन और सीवर लाइन प्रदान करना सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि देश में मल-जल को उपचारित करने का स्तर बढने से नदियों को स्वच्छ बनाने में मदद मिलेगी.
रेहडी-पटरी वालों के लिए आत्मनिर्भर भारत निधि योजना – पीएम स्वनिधि योजना का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि यह योजना रेहडी पटरी वालों के लिए आशा की नई किरण बन कर सामने आई है. उन्होंने यह भी कहा कि योजना के अन्तर्गत 25 लाख लोगों को ढाई हजार करोड रुपये की राशि मिली है. उन्होंने कहा कि इस समय रेहडी-पटरी वाले डिजिटल लेन-देन कर रहे हैं और समय पर अपने ऋण का भुगतान कर रहे हैं. रेहडी-पटरी वालों ने बहुत कम समय में सात करोड डिजिटल लेन देन किए हैं. उन्होंने सभी राज्यों से शहरी गरीबों को सशक्त बनाने के लिए रेहडी पटरी वालों को मदद देने की अपील की.
इस अवसर पर आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी, जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, राज्यमंत्री कौशल किशोर और बिश्वेश्वर टुडु भी उपस्थित थे.