नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी अब तभी कोई भूखंड योजना निकाल पाएंगी जब उसकी जमीन इनके कब्जे में होगी. साथ ही किसानों की ओर से उस जमीन पर कोई विवाद न हो इसे सुनिश्चित करना होगा या पहले उसे निपटाना होगा. सरकार की ओर से इसके लिए आदेश जारी कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार में विशेष सचिव निधि श्रीवास्तव ने प्राधिकरणों को पत्र में लिखकर कहा है कि यह भी उल्लेख किया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाया है इसलिए इस आदेश को ठीक से लागू किया जाना चाहिए.
क्या था मामला?
हाल ही में इलाहबाद हाई कोर्ट में एटीएस इन्फ्रास्ट्रक्टर लिमिटेड की ओर से इस मामले में याचिका लगाई गई है. इसमें बिल्डर ने कहा था कि सेक्टर-150 में नोएडा अथॉरिटी ने किसानों से बिना अधिग्रहण किए ही उसे जमीन बेच दी थी. इसके बाद जमीन समय पर न मिलने से बिल्डर निर्धारित समय के भीतर डेवलेपमेंट नहीं कर पाया और प्लॉट आवंटन रद्द कर दिया गया. इलाहबाद हाईकोर्ट ने नोए़डा अथॉरिटी से इस मामले में जवाब-तलब किया था कि बिना अधिग्रहण के जमीन बिल्डर को कैसे बेच दी गई.इसके बाद कोर्ट ने कहा कि कोई भी संपत्ति आवंटन योजना तब तक शुरू नहीं की जानी चाहिए, जब जमीन के हिस्सों का अधिग्रहण नहीं हो जाता.
ऐसा ही एक मामला इससे पहले आम्रपाली बिल्डर से भी जुड़ा था. आम्रपाली बिल्डर को भी करीब चार हजार वर्गमीटर ऐसी ही जमीन बेच दी थी जिसका अधिग्रहण किसानों से नहीं हो पाया था. बाद में किसानों और अथॉरिटी के बीच इसके अधिग्रहण पर लंबे समय तक कानूनी लड़ाई चली. यमुना अथॉरिटी से भी जुड़ा एक मामला था जिसमें यमुना अथॉरिटी ने सेक्टर 32 और 33 में 2013 में इंडस्ट्रियल प्लॉटों की योजना निकाली थी. इसमें 55 भूखंड ऐसे थे जिनकी अधिग्रहण भी नहीं हो पाया था उद्योग लगाने के लिए इसे आवंटित कर दिया गया था. इस मामले के 10 साल बाद भी यमुना अथॉरिटी इस जमीन को नहीं खरीद पाई है. बिना अधिगृहीत किए ही जमीन बेचने के बाद किसानों ने कई शर्त अथॉरिटी के सामने रख दीं. अथॉरिटी उन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया. इस सब के बीच आवंटी परेशान हो रहे हैं और ऐसे मामले बहुतायत में हैं.
क्या होगा फायदा?
यूपी सरकार के नए आदेश के बाद अब गौतमबुद्ध नगर के प्राधिकरणों आवासीय और कमर्शियल प्लाटों की स्कीम तभी जारी करेंगे जब उनके पास जमीन होगी. इससे आवंटियों को अपनी संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.