पेट्रोल (Petrol) की खपत में 21%, डीजल (diesel) में 12% और LPG की खपत में मई के मुकाबले जून में 4.38% की बढ़ोतरी हुई है, जो दूसरी लहर का सबसे खराब महीना माना जा रहा है.
पीपीएसी (PPAC) डेटा
पेट्रोलियम मंत्रालय की शाखा, पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (Petroleum Planning & Analysis Cell) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पेट्रोल (Petrol) की मांग मई के 19,91,000 टन से बढ़कर जून में 24,09,000 टन हो गई, जबकि डीजल (diesel) की मांग 55,38,000 टन से बढ़कर 62,03,000 हो गई.
हालांकि, इस उछाल के बावजूद, डीजल (diesel) की मांग अप्रैल के मुकाबले कम रही है जब ये 66,83,000 टन थी. अप्रैल में पेट्रोल की खपत 23,86,000 टन रही, जो जून की तुलना में कम है.
डीजल (diesel) वो ईंधन है जिस पर देश भर में माल का परिवहन निर्भर करता है और इस मांग की कमी की वजह शायद यहीं मानी जा सकती है.
एटीएफ (ATF ) की मांग कम रही
इन सबके बीच विमान उड़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की मांग जून में 258,000 टन देखी गई. जबकि अप्रैल और मई में एटीएफ(ATF) की ये मांग ज्यादा थी. जहां ये मई में 268,000 टन रही वहीं अप्रैल के महीने में इसकी मांग 413,000 टन थी जो जून से ज्यादा है.
इसके अलावा, पेट्रोल, डीजल के अलावा जून में रसोई ईंधन की मांग में बढ़ोतरी देखी गई. एलपीजी (LPG ) की खपत, मई में 21,68,000 टन और अप्रैल में 21,14,000 टन के मुकाबले जून में 22,63,000 टन रही.
Bitumen की मांग में कमी
सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाले बिटुमेन (Bitumen ) की खपत भी अप्रैल और मई के मुकाबले कम रही.
अप्रैल में जहां बिटुमेन की खपत 658,000 टन थी, वहीं मई में यह घटकर 532,000 टन रह गई. और 509,000 टन खपत के साथ जून में ये गिरावट जारी रही.
FY21 में गिरावट
वित्त वर्ष 2021 (FY21) में भारत की ईंधन खपत में 9.1% की कमी आई और ये दो दशकों में देखा गया इस तरह का पहला केस कहा जाएगा.
PPAC के आंकड़ों से पता चला है कि देश ने 2020-21 में 194.63 मिलियन टन पेट्रोलियम उत्पादों की खपत की, जबकि पिछले साल 214.12 मिलियन टन की मांग थी. ये पहली बार था जब 1998-99 के बाद से ईंधन की खपत में कमी आई है और इसके सरकारी आंकड़े भी मौजूद हैं.