ऑनलाइन सट्टेबाजी के खेल पर मद्रास हाईकोर्ट ने लिया यह बड़ा फैसला

Online Betting Games: मद्रास उच्च न्यायालय ने 2021 के तमिलनाडु गेमिंग और पुलिस कानून (संशोधन) अधिनियम को रद्द कर दिया है.

Dream 11 Team:

Pic Courtesy: Pixabay, ड्रीम इलेवन के खिलाफ ये शिकायत दर्ज करवाई बेंगलुरु में रहने वाले एक कैब ड्राइवर मंजूनाथ ने. मंजूनाथ ने कहा कि बहुत से खिलाड़ियों को ज्यादा पैसे मिलने की उम्मीद में इस एप पर खेलते और फिर हारते हुए देखने के बाद वह ये शिकायत दर्ज करवाने पर मजबूर हुए.

Pic Courtesy: Pixabay, ड्रीम इलेवन के खिलाफ ये शिकायत दर्ज करवाई बेंगलुरु में रहने वाले एक कैब ड्राइवर मंजूनाथ ने. मंजूनाथ ने कहा कि बहुत से खिलाड़ियों को ज्यादा पैसे मिलने की उम्मीद में इस एप पर खेलते और फिर हारते हुए देखने के बाद वह ये शिकायत दर्ज करवाने पर मजबूर हुए.

Online Betting Games: मद्रास उच्च न्यायालय ने 2021 के तमिलनाडु गेमिंग और पुलिस कानून (संशोधन) अधिनियम को रद्द कर दिया है, जिसके तहत राज्‍य में रमी और पोकर जैसे ऑनलाइन सट्टेबाजी के खेल (Online Betting Games) पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. यह कानून राज्य की पिछली अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा लागू किया गया था. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने जंगली गेम्स और अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कानून में किए गए संशोधन को रद्द करते हुए तमिलनाडु गेमिंग और पुलिस कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के भाग दो को असंवैधानिक करार दिया है.

कानून बनाने की स्वतंत्रता

हालांकि कोर्ट ने राज्य सरकार को बिना किसी कमी वाला इस पर कानून बनाने की स्वतंत्रता सरकार को दी है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस फैसले में राज्य सरकार को संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप एक उपयुक्त कानून पेश करने से नहीं रोका गया है.

उधर ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोलैंड लैंडर्स ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘हम मद्रास हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, जो यह बताता है कि न्‍यायालय ऑनलाइन गेमिंग के खिलाफ नहीं है.

हम सरकार से ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में नई तकनीक के लिए निवेश और रोजगार के सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए और इस क्षेत्र को स्पष्टता प्रदान करने के लिए एक नियामक ढांचा तैयार करने का आह्वान करते हैं.’’

सरकार का तर्क और कोर्ट का नज़रिया

तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट में कहा कि युवा और वयस्क, खासकर 25-30 आयु वर्ग के बीच, इन ऑनलाइन सट्टेबाजी वाले खेलों में अपनी कमाई और बचत को गंवा रहे हैं.

सरकार ने कहा कि रमी जैसे खेलों में कौशल की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन जब इसे दांव लगाने के लिए खेला जाता है, तो इसे जुआ कहा जाता है.

सरकार के इस तर्क से असहमति जताते हुए पीठ ने कहा कि राज्य विधायिका ने जुए के दायरे को बढ़ाकर अपने कानून के क्षेत्र का विस्तार करने में गलती की है. राज्य सूची में इसकी अनुमति नहीं दी गई है.

इसके साथ ही पीठ ने कहा कि तमिलनाडु गेमिंग और पुलिस कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 संविधान में राज्य सूची की प्रविष्टि-34 के तहत राज्‍य सरकार के कानूनी दायरे में नहीं आता है.

Published - August 4, 2021, 04:16 IST