सदियों पहले भारत सोने और चांदी का भंडार हुआ करता था. दुनिया के सोने का बड़ा हिस्सा भारत के मंदिरों में होता था. मेरी नजर में सोमनाथ का पुनर्निर्माण उस दिन पूरा होगा, जब इसकी नींव पर विशाल मंदिर के साथ ही समृद्ध और संपन्न भारत का भव्य भवन भी तैयार होगा. समृद्ध भारत का वो भवन जिसका प्रतीक सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) होगा.” ये शब्द हैं आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के. इसी सपने को साकार करने के मकसद से पीएम मोदी ने हाल ही में सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) में कई नई परियोजनाओं का उद्घाटन किया.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीएम मोदी ने समुद्र दर्शन, पैदल पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और नवीनकृत अहिल्याबाई होलकर मंदिर का उद्घाटन किया. इसके अलावा उन्होंने पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी. पीएम मोदी कहते, “ये हर कालखंड की मांग रही है कि हम धार्मिक पर्यटन की दिशा में भी नई संभावनाओं को तलाशें, लोकल अर्थव्यवस्था से तीर्थ यात्राओं का जो रिश्ता रहा है, उसे और मजबूत करें. जैसे कि, सोमनाथ मंदिर में अभी तक पूरे देश और दुनिया से श्रद्धालु दर्शन करने आते थे, लेकिन अब यहां समुद्र दर्शन पथ, प्रदर्शनी, पिलग्रिम प्लाजा और शॉपिंग कॉम्पलेक्स भी पर्यटकों को आकर्षित करेंगे.”
वह आगे कहते हैं कि अब यहां आने वाले श्रद्धालु जूना सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) के भी आकर्षक स्वरूप का दर्शन करेंगे, नए पार्वती मंदिर का दर्शन करेंगे. इससे, यहां नए अवसरों और नए रोजगार का भी सृजन होगा और स्थान की दिव्यता भी बढ़ेगी. यही नहीं, प्रोमनेड जैसे निर्माण से समुद्र के किनारे खड़े हमारे मंदिर की सुरक्षा भी बढ़ेगी. सोमनाथ एग्जीबिशन गैलरी का लोकार्पण भी हुआ है. इससे हमारे युवाओं को, आने वाली पीढ़ी को उस इतिहास से जुड़ने का, हमारी आस्था को उसके प्राचीन स्वरूप में देखने का, उसे समझने का एक अवसर भी मिलेगा.
सोमनाथ मंदिर की नई परियोजनाएं पर्यटकों और भक्तों को इस ऐतिहासिक स्थल की दिव्यता और भव्यता की अनुभूति कराने वाली हैं. यहां आने वाले लोग जहां मंदिर की वास्तुकला से परिचित होंगे, वहीं पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
नयी परियोजनाओं में समुद्र दर्शन, पैदल पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और नवीनकृत अहिल्याबाई होलकर मंदिर के उद्घाटन के अलावा पार्वती मंदिर की आधारशिला रखी गयी है.
समुद्र दर्शन पथ: बात करें समुद्र दर्शन पथ की तो पर्यटन मंत्रालय की प्रसाद योजना के अंतर्गत यह समुद्र दर्शन पथ, डेढ़ किलोमीटर लंबा होगा और 8 किलोमीटर चौड़ा होगा, जो सोमनाथ मंदिर से लेकर त्रिवेणी संगम तक सागर की उछलती लहरों को आगे बढ़ने से रोकेगा. वॉक वे पर आए दर्शनार्थियों की सुरक्षा के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम व सीसीटीवी सुरक्षा भी दी जाएगी. मंत्रालय के मुताबिक इससे स्थानीय लोगों के लिए कई रोजगार के अवसर सृजित होंगे.
सोमनाथ प्रदर्शन गैलरी: ये गैलरी मंदिर स्थापित चीजों पर बनी है. सोमनाथ मंदिर के खंडित अवशेषों को यहां संभालकर रखा गया है. मंदिर की वास्तुकला और स्थापत्य का महत्व एवं दूसरी जानकारियां, हिंदी अंग्रेजी भाषा के साथ ब्रेइलिपी में भी दी गयी है. ताकि हर एक व्यक्ति सोमनाथ के इतिहास से रूबरू हो सके.
प्राचीन सोमनाथ मंदिर: इंदौर की मराठा महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा सन् 1783 में प्राचीन सोमनाथ मंदिर स्थापित किया गया था. इसके इतिहास की बात करें तो सोमनाथ पर हो रहे आक्रमणों के दौर में इसी मंदिर में सोमनाथ महादेव की पूजा होती थी. इस पुराने मंदिर का नवनिर्माण कर 1800 स्क्वायर मीटर के एरिया को मंदिर परिसर में शामिल किया गया है व मंदिर के मार्ग को सरल कर सन्मुख प्रवेश बनाया गया है. इसमें पहली मंजिल पर 2 विशाल हॉल और 16 दुकानें बनाई गई हैं. इन सबके अलावा, पीएम मोदी ने पार्वती मंदिर का भी शिलान्यास किया।
इन परियोजनाओं से जहां एक ओर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा वहीं, पहले जहां दर्शनार्थी केवल दर्शन करके चले जाते थे अब वे समुद्र दर्शन पथ, प्रदर्शनी, पिलग्रिम प्लाजा और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का भी लाभ उठा सकेंगे. सोमनाथ एग्जीबिशन गैलरी के बन जाने से युवाओं और आने वाली पीढ़ी को इतिहास से जोड़ने और समझने का अवसर मिलेगा. वहीं, डेढ़ किलोमीटर लंबे और 8 मीटर चौड़े कॉरिडोर के बनने से लगभग 160 छोटे छोटे स्वनियोजित व्यापारियों को इसमें जगह दी जाएगी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे. इन परियोजनाओं से आने वाले यात्रियों और पर्यटकों को भी काफी सहूलियत होगी.
देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसमें स्वदेश दर्शन योजना के तहत 15 विषयों पर पर्यटन सर्किट विकसित किया जा रहा है, जिससे उपेक्षित क्षेत्रों में पर्यटन के अवसर पैदा होंगे. केदारनाथ जैसे पहाड़ी इलाकों में विकास, चार धामों के लिए सुरंग और राजमार्ग, वैष्णव देवी में विकास कार्य, पूर्वोत्तर में हाई-टेक बुनियादी ढांचा दूरियों को कम करने का काम कर रहे हैं. इसी कड़ी में, 2014 में घोषित प्रसाद योजना के तहत 40 प्रमुख तीर्थ स्थलों का विकास किया जा रहा है, जिनमें से 15 पहले ही पूरे हो चुके हैं. आज देश यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मक सूचकांक में 2013 के 65वें स्थान से 34 वें स्थान पर पहुंच गया है.
सोमनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है. कई सदियों से ये देश-विदेश में आकर्षण का केंद्र रहा है और कई यात्री हर साल इसे देखने के लिए आते हैं. कई आक्रांताओं ने इसपर हमले किये लेकिन फिर भी इसकी नींव को नहीं हिला सके. यह मंदिर तीन प्रमुख भागों में विभाजित है. जो गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप के रूप में जाने जाते हैं. इसका 150 फुट ऊंचा शिखर है, और शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन है.
हम इतिहास से सीखते हैं और वर्तमान को सुधार कर एक नया भविष्य बनाते हैं. ये देश की धरोहरें ही हैं जो सदियों से अतीत के खंडहरों पर आधुनिक गौरव का निर्माण कर रही हैं और हमें अतीत को संजोने की प्रेरणा दे रही हैं.