केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) से कारोबार दक्षता में सुधार के लिए छतों पर सौर संयंत्र लगाने को लेकर सस्ती दर पर मिलने वाली कर्ज योजना के लिए आवेदन करने का अनुरोध किया. डिजिटल तरीके से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए MSME और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि छतों पर लगाए जाने वाले सौर संयंत्र MSME के लिए लाभकारी हैं. इससे बिजली खपत की लागत काफी हद तक कम हो जाएगी. औसतन उनके परिचालन लागत का 20 प्रतिशत हिस्सा बिजली का ही है. एमएसएमी का देश की जीडीपी में 30 फीसदी योगदान है.
MSME को छतों पर सौर संयंत्र लगाने में मदद के लिए मंत्रालय ऋण गारंटी कार्यक्रम के लिए विश्वबैंक के साथ काम कर रहा है. इसका मकसद MSME के लिए वित्त सुलभ कराना है. उन्होंने कहा, ‘बड़े संयंत्रों से उत्पादित सौर बिजली की दरें 1.9 रुपए प्रति यूनिट तक आ गई हैं. इसको देखते हुए MSME को अपने ऊर्जा खर्च में कमी लाने के लिए इस अवसर का उपयोग निश्चित रूप से करना चाहिए.’ विश्वबैंक ने 2016 में ‘सोलर रूफटॉफ’ वित्त पोषण कार्यक्रम शुरू किया था. इसका क्रियान्वयन भारतीय स्टेट बैंक कर रहा है. गडकरी ने कहा, ‘मैं MSME से अनुरोध करता हूं कि वे अपने पास की एसबीआई शाखा में जाएं और इस योजना का लाभ उठाएं.’
भारत में तेजी से हो रहा है प्रचार
सौर उर्जा का भारत में तेजी से प्रचार हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance-ISA) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब सौर ऊर्जा (Solar Energy) के लिए दुनिया के टॉप बाजारों में से एक है. ‘ईज ऑफ डूइंग सोलर 2020’ के नाम से इस रिपोर्ट में उन देशों की पहचान की गई है, जिन्होंने साल 2020 में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की नजर से बेहतर प्रदर्शन किया है. ये रिपोर्ट साल 2019 में चार सदस्य देशों के लिए किए गए पायलट अध्ययन की एक कड़ी है जिसमें अब 80 देशों को कवर किया गया है.
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में करते हैं काम
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन या ISA, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करने के मकसद से COP-21 (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र में शामिल सदस्यों का सम्मेलन) के दौरान शुरू की गई फ्रांस और भारत की एक संयुक्त पहल है. दूसरे शब्दों में, यह सौर ऊर्जा से संपन्न देशों का एक गठबंधन है, जिसकी शुरुआत भारत और फ्रांस ने 30 नवंबर 2015 को पेरिस में की थी. इस संगठन में शामिल सभी देश सौर ऊर्जा के क्षेत्र (Solar sector) में मिलकर काम करते हैं. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ही पहल का परिणाम है.